मेरे दोस्त की गर्लफ़्रेंड की चूत- 1
गरम लड़की की चुदाई की कहानिया लिखना मुझे पसंद है. इस बार मैंने अपने दोस्त की एक्स गर्लफ्रेंड को चोदा. उसी की कहानी को दो भाग में लिख रहा हूँ. मजा लें.
मेरे प्यारे चोदू दोस्तो और गर्मागर्म चुदक्कड़ भाभियो, आप सभी को मेरा और मेरे खलबली लण्ड का चुदाई भरा नमस्कार।
हमेशा की तरह मेरा सभी दोस्तों से अनुरोध है कि अपने अपने लण्ड को हाथों में धारण कर लें और भाभियों से प्यार भरी गुजारिश है कि वे अपनी – अपनी मुनिया चूत को ज़रा मुट्ठी से मसलकर तैयार होने का इशारा जरूर कर दें क्योंकि आपका प्यारा चोदू देवर राहुल यानि मैं आपके सामने फिर उपस्थित हूँ अपनी एक और गर्मागर्म आप बीती कहानी के साथ।
मेरी पिछली कहानी भाभी की चूत चुदाई उन्हीं के घर में को आपने ख़ूब पढ़ा और सराहा। यहाँ तक कि मुझे एक भाभी का ईमेल आया और उनसे हुई मुलाक़ात आज हम दोनों को बिस्तर तक ले आयी पर वो गरम लड़की की चुदाई की कहानिया फिर कभी!
आज मैं आपको बताने जा रहा हूँ अपने और ज्योति के बारे में जो मेरे ही कॉलेज में पढ़ती थी पर मेरे बहुत करीबी दोस्त की गर्लफ़्रेंड होती थी।
हुआ कुछ यूँ कि कॉलेज में मेरा अड्मिशन कोई 1 महीना देर से हुआ और पहले ही दिन मेरी नज़र ज्योति पर पड़ी जो क़द में तो थोड़ी कम थी पर सामान ऐसी थी कि पूरे कॉलेज की लड़कियों पे भारी! ऐसे शानदार उसके चूचे थे और ऐसी ग़ज़ब की उसकी गांड थी कि मुझे अपने खलबली लण्ड को अजस्ट करना पड़ा जिससे कोई उसके उभार को ना देख ले।
पर मेरे अरमानों पे पानी तब फिरा जब मुझे पता चला कि वह मेरे कमरे के पड़ोस में रहने वाले मेरे दोस्त ध्रुव जो मेरे सीनियर भी थे, उनकी गर्लफ़्रेंड निकली। ध्रुव एक अच्छे इंसान थे और पड़ोसी के कारण उन्होंने यह भी ध्यान रखा कि कॉलेज में कोई मेरी रैगिंग ना करे. इस कारण उनकी मेरी दोस्ती बहुत अच्छी हो गयी।
ध्रुव और मेरी दोस्ती के चलते मैंने कभी ज्योति की तरफ़ कोई पहल नहीं की. पर उसके नाम की मुट्ठी बहुत बार मारी।
यहाँ तक की जब भी मुझे मौक़ा मिलता, मैं ज्योति की गांड और चूचों पर हाथ रगड़ देता पर इतनी सावधानी से कि उसको कभी ऐसा अहसास ना हो कि मैंने ये काम जान बूझ के किया है।
देखते ही देखते 4 साल यूँ ही बीत गए और सबसे विदा लेकर मैं वापस दिल्ली आ गया।
ध्रुव और ज्योति अब तक शादी के बारे में सोच रहे थे. और क्योंकि ज्योति को एक पांच सितारा होटल में जॉब मिल गयी थी तो वे लोग कुछ समय बाद साथ ही वापस आने वाले थे। यहाँ बताना सही रहेगा कि ध्रुव भी दिल्ली के रहने वाले थे।
कुछ साल बाद मैं ताज मानसिंह होटल में किसी से मिलने गया तो मेरी मुलाक़ात ज्योति से हुई और मैंने उसके और ध्रुव के बारे में पूछा. तो पता चला कि दोनों का ब्रेकअप हो चुका है और अब वह ध्रुव के साथ नहीं है।
मेरी तो जैसे मन माँगी मुराद पूरी हो चली थी। रास्ता साफ़ देख मैंने ज़रूरी बातें ज्योति से पता की जैसे उसका फ़ोन नम्बर, उसकी शिफ़्ट का समय, छुट्टी का दिन, वह दिल्ली में कहाँ रह रही है वग़ैरह! और फिर उससे दोबारा मिलने का वादा कर मैं होटल से निकल गया।
ज्योति से फ़ोन पर बातें होने लगी और मैंने उससे उसकी छुट्टी से पहले दिन उसकी शिफ्ट ख़त्म होने पर मिलने का निश्चित किया और साथ में डिनर का भी। मुझे पता था कि ज्योति थोड़ी शराब पी लेती है और आज कल अकेली भी तो मुझे किसी तरह से अपना मामला तो बनाना ही था।
मैं निश्चित किए दिन सुंदर सा गुलदस्ता लेकर समय से पहले होटल के बाहर पहुँच गया. और जैसे ही ज्योति बाहर आयी, मैंने उसको ज़ोर से गले लगाया जिससे उसके उभारों को महसूस कर सकूँ।
ज्योति के बारे में आप सबको बताता चलता हूँ. वैसे तो ज्योति ख़ुद 5 फुट से छोटी थी पर उसके चुचे 38 साइज़ के थे और गांड भी कोई 36 की रही होगी। नैन नक़्श की तीखी और इतना सुंदर रूप कि शब्दों में कह पाना असम्भव है।
मैंने ज्योति को फूल दिए तो वह खुश होकर बोली- आज तक तो तूने कभी फूल नहीं दिए, आज ये मेहरबानी क्यूँ? और आँख मार कर गाड़ी में बैठ गयी।
गुरुग्राम जाने का प्लान पहले ही तय था तो मैंने गाड़ी सड़क पर दौड़ा दी।
मैंने माहौल बनाने को उसकी और ध्रुव की बातें छेड़ी जिससे वह थोड़ी रुआंसी हो गयी. तब मैंने उसको गाड़ी रोक कर अपने गले लगा के चुप कराया।
फिर जाने कब हम गुरुग्राम के एक डिस्को पहुँच गए, पता ही नहीं चला। वहाँ हमने कुछ ड्रिंक्स लिए और फिर थोड़ा डान्स किया. इस दौरान मैं ज्योति को बहुत क़रीब से छू रहा था।
मैंने ज्योति की पीठ और गांड पर ख़ूब हाथ फेरा और उसके साथ चिपक चिपक के डान्स करते समय हम दोनों कब एक दूसरे को स्मूच करने लगे, पता ही नहीं चला।
मैं उसको लेकर डिस्को के एक कोने में पहुँच गया और वहाँ मैंने उसको चूमते हुए उसके चूचे मसलने शुरू किए जिसका उसने कोई विरोध नहीं किया बल्कि मेरा पूरा साथ दिया। डिस्को के एक स्टाफ़ ने आकर हमें टोका तो हम वहाँ से निकल लिए पर चलते हुए मैंने ज्योति को एक 90 mL का पेग और लगवा दिया।
ज्योति होटल के दिए कमरे में रहती थी. वहाँ जाकर उसने गाड़ी से उतरने से पहले मुझे गले लगाया।
मैंने उसको थोड़ी देर गाड़ी में रुक कर बातें करने को कहा. तो वह मान गयी … पर इस शर्त पर कि हम उसके कमरे के आस पास ना रहें।
थोड़ी ही दूरी पर मेरे दोस्त का फ़्लैट था तो मैंने गाड़ी उधर बढ़ा दी और कुछ देर में हम मेरे दोस्त के फ़्लैट के नीचे थे।
रात मदहोश थी और हम भी नशे में चूर थे। आगे पीछे कोई तांक झांक करने को भी नहीं था।
हम दोनों ने अपनी सीट पीछे लिटा ली और बातें कर ही रहे थे कि मैंने अपने होंठ उसके होंठों पे रख के उनको चूमना चालू किया।
रात के क़रीब तीन बज चुके थे और सड़क सुनसान थी तो ज़्यादा कुछ सोचने की ज़रूरत नहीं थी।
कुछ ही देर में ज्योति को मैंने अपने ऊपर को खींच लिया और उसके होंठों को चूमते हुए उसकी जीन्स के अंदर हाथ डाल कर उसकी गांड को रगड़ने लगा। ज्योति ने मुझे धकेलते हुए ख़ुद से अलग किया और तिरछी आँखों से देखा जैसे मुझसे कोई सवाल कर रही हो।
मैंने कोई समय ना गँवाते हुए एक बार फिर ज्योति के होंठों पर अपने होंठ रख दिए और हम एक बार फिर हवस के समुंदर में गोते खाने लगे। इस बार मैंने उसकी टॉप के अंदर हाथ डाल के उसकी ब्रा के ऊपर से उसके चुचों का मर्दन शुरू किया।
कुछ ही देर में ज्योति के मुँह से आह निकलने लगी और मैंने ज्योति का हाथ अपने लण्ड पर रख दिया।
धीरे धीरे ज्योति ने मेरे लण्ड को जींस के ऊपर से सहलाना शुरू किया और कुछ ही देर में मेरा लण्ड क़ैद से आज़ाद हो ज्योति के हाथ में सलामी दे रहा था। मैंने भी ज्योति की ब्रा के अंदर हाथ डाल कर उसकी घुंडियों को हल्के हल्के सहलाना शुरू कर दिया था. पर हम अब भी एक दूसरे को बेहिसाब चूम, चूस और काट रहे थे।
उसके काटने का आलम कुछ ऐसा था कि वह कभी मेरे कान पे काट रही थी तो कभी मेरी गर्दन पे काट लेती तो कभी मेरी ठोड़ी पे … और हर बार मुझे उसको अलग करना पड़ता।
मैंने उसके सिर पे हाथ रख के उसको नीचे सरकने का इशारा किया ही था कि ज्योति ने नीचे जाकर मेरे लण्ड को अपने मुँह में भर लिया और उसको एक लॉलीपॉप की तरह चूसने लगी। मैं शर्तिया यह बात कह सकता हूँ कि मुझे ज्योति से अच्छी ब्लो-जॉब आज तक किसी ने नहीं दी थी।
मेरी साँसें जैसे रुक सी गयी थी। वह लण्ड को मुँह में लेकर ऐसे चूसती जैसे मेरा सारा खून लण्ड की तरफ़ आकर्षित हो गया हो।
एक अजीब ढंग था कि उसका लण्ड को चूसने का और थोड़ी थोड़ी देर में मुझे उसके बालों को पकड़ के अलग करना पड़ता जिससे मुझे कुछ राहत मिले।
इस काम में उसका हुनर काबिल-ऐ-तारीफ़ था और वह इतनी शिद्दत से मेरा लण्ड चूस रही थी जैसे उसको इसके अलावा और कुछ नहीं चाहिए।
उसकी उंगलियाँ मेरी गेंदों पे जादू बिखेर रही थीं और कभी कभी वह गांड के छेद तक हाथ घुमा देती जिससे मेरे पूरे शरीर में करंट दौड़ जाता।
मेरे लिए ख़ुद को क़ाबू में रखना बहुत मुश्किल होता जा रहा था तो मैंने ज्योति को ख़ुद से अलग किया और उसको ऊपर रूम में चलने को कहा जिसके लिए वह झट से राज़ी हो गयी।
हम दोनों ने ख़ुद को व्यवस्थित किया और दौड़ के ऊपर छत पर बने कमरे में पहुँच गए जिसकी चाबी मेरे पास हमेशा रहती थी। मेरा दोस्त यहाँ किराए पे रहता था और अक्सर काम के सिलसिले में दिल्ली से बाहर ही होता था।
हम कमरे में घुसते … उससे पहले ज्योति ने सिगरेट लगा ली और छत पर घूमते हुए धुआँ उड़ाने लगी। मेरे लण्ड में तो आग लगी थी। मैंने कमरे में जाकर चीजों को चुदाई के हिसाब से व्यवस्थित किया और वापस बाहर आकर देखा कि ज्योति झूले पे बैठी आनंद ले रही थी।
उसको दोबारा गर्म करना ज़रूरी था तो मैं उसके बराबर में बैठ गया और उसकी जांघ पर हाथ रख कर सहलाने लगा। ज्योति सिगरेट पीती रही और मैं उसको मलता रहा।
सिगरेट ख़त्म होते ही मैं दोबारा उसके होंठों पर टूट पड़ा और इस बार मैंने अपने हाथ उसकी टॉप में डाल कर उसकी ब्रा खोल दी।
कमरा चौथे माले पर था और किसी दूसरे की छत से इतने अंधेरे में यहाँ कुछ दिखना संभव नहीं था तो मैंने ज्योति को झूले पे ही अधनंगी कर दिया और उसके चूचे पीने लगा।
ज्योति को भी किसी चीज़ की कोई चिंता नहीं थी और वह मेरा पूरा साथ दे रही थी।
जैसे जैसे मैं उसकी चूचियों को पीता, उसकी आहें बढ़ती जाती।
मेरे आग़ोश में ऐसी हसीन लड़की थी जिसको चोदने को मैं 6-7 साल से आतुर था … तो मेरी भी हालत एकदम पतली थी।
मैंने ज्योति को ख़ूब चूसा और काटा और पता ही नहीं चला कि मैंने कब उसको पूरी नंगी कर दिया।
हम लोग उसी झूले पर कोई आधे घंटे तक यूँ खेलते रहे. जब ज्योति ने मुझे धकेला और मुझ पर किसी शेरनी की तरह झपटी।
मेरे ऊपर के कपड़े तो कब के उतर चुके थे. पर ज्योति ने बिना कोई देरी किए मेरी जींस खींच के मुझसे अलग की और मेरी फ़्रेंची उतारने की इतनी जल्दी थी उसको कि वो उतरने की जगह फट ही गयी।
ज्योति मेरे लण्ड को देखते ही खिल गयी और यूँ इठलायी जैसे किसी भूखी शेरनी के हाथ शिकार लग गया हो।
मेरी पलक नहीं झपकी और उससे पहले ज्योति ने मेरे लण्ड को अपने मुँह में भर के चूसना शुरू कर दिया।
उसका चूसना था कि मेरे दोनों पैर जाने कब हवा के उठ गए और ज्योति की जीभ मेरे लण्ड से होते हुए मेरी गांड तक चाटने लगी। वह बीच बीच में मेरे चूतड़ों को अपने हाथों से खोल कर अपनी जीभ को मेरी गांड के अंदर तक डाल रही थी।
इतनी उत्तेजना उसने मेरे शरीर में पैदा कर दी थी कि मुझे पता ही नहीं चला कब उसने मेरी गांड में जीभ की जगह अपना अंगूठा पेल दिया पर वह मेरा लण्ड कुछ ऐसे चूस रही थी कि मुझे दोनों चीजों में एक अनोखा मज़ा आ रहा था. इतना अनोखा कि मैंने ऐसा पहले कभी महसूस नहीं किया था।
आप सोचो कि मेरी ऐसी अवस्था थी कि मेरे पैर हवा में, हाथ हवा में, लण्ड उसके मुँह में और उसका अंगूठा मेरी गांड में … ऐसा लग रहा था जैसे उसने मेरे ऊपर पूरा स्वामित्व हासिल कर लिया हो और मैं उसको एक ग़ुलाम बना उसको सब कुछ करने दे रहा था।
उसको मेरी गांड में अंगूठा डाले कुछ ही मिनट हुए होंगे कि मेरे लण्ड ने अपना माल ज्योति के मुँह में छोड़ दिया और ज्योति ने एक भी बूँद ज़ाया नहीं की बल्कि वह लण्ड चूसती रही, अपना अंगूठा हिलाती रही और मेरा माल निकालती रही।
वह लण्ड चूसने की माहिर थी और जब वो ऐसा करती तो इस सबके बीच मैंने एक बदलाव महसूस किया था। मैं अब जब भी उसके चूचों को थामता तो वह झट से मेरे हाथ अपने चूचों से हटा देती।
जब उसने मेरे लण्ड की एक एक बूँद निचोड़ ली तो मैंने उसको कमरे में चलने को बोला जिसके लिए उसने सिरे से मना कर दिया कि आज उसको खुले आसमान के नीचे ही सेक्स करना था। मैंने उसको समझाया कि सुबह होने को आयी है और सूरज भी निकलने को है तो हमें अंदर जाना चाहिए क्यूँकि रोज़ सुबह मकान माल्किन योगा करने छत पर आती है.
पर वह नहीं मानी और उसने झूले की गद्दी नीचे पटकी, मुझे उस पर खींचा और मेरे ऊपर चढ़ गयी।
ऐसा मेरे साथ पहली बार हो रहा था कि कोई लड़की मुझे चोदना सिखा रही थी और मैं उसको सब करने दे रहा था क्यूँकि मुझे बहुत मज़ा आ रहा था।
मेरी गरम लड़की की चुदाई की कहानिया अगले भाग में चलेगी. अभी तक की इस कहानी पर अपनी राय मुझे बताएं. [email protected]
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