पहाड़ की चढ़ाई, लण्ड-चूत चुसाई
सभी अर्न्तवासना के पाठक और पाठिकाओं को प्रेम कुमार का प्रणाम।
हाँ मैं जानता हूँ, आप यही सोच रहे हैं कि ये कौन सा नया छोकरा आ गया। मैं आपको अपने बारे में बताता हूँ। मैं अहमदाबाद का हूँ और कॉलेज में पढ़ता हूँ। मैं 18 साल का हूँ, थोड़ा सांवला हूँ। एक बात और बताता हूँ, मुझे गुस्सा बहुत आता है। सेक्स का ज्ञान तो मुझे बचपन में ही हो गया था।
अब मैं आपको अपनी कहानी बताता हूँ। यह कहानी मेरे स्कूल की है। वहाँ बहुत सारी लड़कियाँ पढ़ती थीं। उन में से एक थी निधि, एकदम गोरी-चिट्टी, बिल्कुल दूध जैसी।
वो बहुत घमंडी और गुस्से वाली थी। बात-बात पर सबको डांटती रहती थी। उसके गुस्से का शिकार मैं भी बना, उसने पूरे क्लास के सामने मुझे बेइज्जत किया।
उस वक्त मुझे इतना गुस्सा आ रहा था कि मन तो कर रहा था कि साली को नंगी करके मारूँ। पर क्या करता अपने आप पर काबू रखा, वो ही बहुत था। बस उसी वक्त ठान लिया था कि इसका घमंड उतार कर रहूँगा।
मेरा नसीब तो देखो, उसी समय एक मौका हाथ आ गया। सर ने बताया कि स्कूल की तरफ से प्रवास का आयोजन किया गया है। जिसको आना है, वो अपना नाम लिखवा दे।
उसने भी अपना नाम लिखवाया। सर ने सबके नाम लिख लिये। दो दिनों के बाद हम सब निकल पड़े।
पहले डाकोर गये। वहाँ दर्शन करने के बाद चाय पीने के लिये होटल में रुके। अब वहाँ से सीधे हमें जाना था पावागढ़। वहाँ जा कर हमने चढ़ाई शुरु की।
मैं जोश में जल्दी ऊपर चढ़ गया, पर थक गया, वहाँ दर्शन किये और खरीदारी की। जब नीचे आने लगा तब आधे छात्र और अध्यापक ऊपर की ओर आ रहे थे।
मैंने सोचा इनको देर लगेगी। सीड़ियाँ पूरी उतरने के बाद, मैं जंगल में से गुजरा। थोड़ा चलने के बाद मुझे लगा कि कोई मेरे पीछे आ रहा है। मैं मुड़ा तो देखा तो निधि थी।
वो अचानक मुझसे दौड़ कर मेरे गले से लिपट गई और रोने लगी।
मैंने पूछा- क्या हुआ, क्यों रो रही हो? वो बोली- मुझे लगा कि मैं खो गई हूँ। प्लीज मेरी मदद करो। मुझे नीचे ले चलो।
उसे अपने से दूर हटाते हुए मैं बोला- मैं तुम्हारी मदद क्यों करूँ? जानती हो तुमने मेरी कितनी बेइज्जती की है?
“हाँ प्रेम, मैं जानती हूँ। और तुमसे माफी माँगना चाहती हूँ।”
मैं बोला- चलो मैं तुम्हारी मदद करूँगा पर, तुम मुझे एक किस दो तो मैं तुम्हारी मदद करूँगा।
वो चौंक कर बोली- क्या बकवास कर रहे हो?
और वो जाने लगी। मैं ऐसा मौका छोड़ना नहीं चाहता था। मैंने उसे पीछे से जोर से पकड़ लिया और अपने लंड को पैन्ट के अन्दर से ही उसके नितंब पर घिसने लगा।
उसको अपनी तरफ करके एक हाथ उसकी पिछाड़ी पर रख कर घुमाने लगा और दूसरे से उसके बालों को पकड़ के एक जोरदार किस किया। तीन मिनट तक यह चुम्मा चला। वो थोड़ी उत्तेजित हो चुकी थी।
अचानक उसने पैन्ट के ऊपर से मेरे लौड़े को पकड़ा और सहलाने लगी। यह कहानी आप अन्तर्वास ना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं।
इस वजह से मेरा हथियार तो पैन्ट में ही खड़ा हो गया था, मुझे लगा कि वो मेरे पैन्ट की चेन खोल रही है।
मैं उससे दूर हो गया।
वो बोली- क्या हुआ? मैंने कहा- हम लोग कुछ ज्यादा ही आगे बढ़ रहे हैं।
वो गुस्सा होकर मुझे गंदी गालियाँ देने लगी।
मुझे गुस्सा तब आया जब उसने कहा कि तेरा छोटा है, इसलिये तू नहीं दिखा रहा है।
मैंने भी उसे चेन खोल कर कहा- ले देख साली रंडी और ले चूस।
वो धीरे से मेरे पास आई और बड़े गौर से देखने के बाद उसने हाथ में मेरा लवड़ा पकड़ा फिर सीधा मुँह में डाल के आगे पीछे करने लगी।
थोड़ी देर में मुझे लगा कि मैं झड़ने वाला हूँ। मैंने उसे हटाने की कोशिश की पर वो नहीं हटी तो मैंने उसके मुँह में ही सारा वीर्य उड़ेल दिया। वो आधा ही पी सकी बाकी उगल दिया।
उसने पानी से कुल्ला किया। फिर उसने आधी जींन्स नीचे की ओर काले रंग की पैंटी भी। उसकी चूत एकदम साफ थी। उसने मुझे आँखों से इशारा किया और पत्थर पर जाकर बैठ गई।
मैंने उसके पास जाकर अपनी जीभ को उसकी चूत पर घुमाया तो उसके रोंगटे खड़े हो गए। पांच मिनट तक यह चला। इस दौरान वो अजीब-अजीब आवाजें निकाल रही थी। उसने मेरा मुँह अपनी चूत में दबा लिया और झड़ गई।
अब वो शांत हो गई थी। हम दोनों ने कपड़े पहने और नीचे चल दिये। इस दौरान मैंने उससे पूछा- तुम्हें यह सब करना कैसे पता था?
वो बोली- मेरी मौसी की लड़की ने सिखाया था।
फिर हमने नीचे पहुँच कर खाना खाया और घर की तरफ चल दिए। उसके बाद मेरी निधि से पक्की दोस्ती हो गई और मैंने उसके साथ चुदाई भी की।
चुदाई कैसे होती है, यह सब तो आपको मालूम ही है। मैं आपको सिर्फ अपनी सच्ची घटना बताना चाह रहा था कि निधि को मैंने कैसे पटाया।
आपको मेरी कहानी कैसी लगी, मेल भेजियेगा। [email protected]