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सास बहू के लिए घर में ही लंड मिला- 1

सनी वर्मा
सास बहू के लिए घर में ही लंड मिला- 1
@सनी वर्मा
16 min

जवानी की अन्तर्वासना हिंदी कहानी में पत्नी के मरने पर जवान बेटे के होते हुए दूसरा ब्याह कर लाया. साथ ही उसने बेटे को भी ब्याह दिया. बेटा बाहर नौकरी करता था.

दोस्तो, आज की जवानी की अन्तर्वासना हिंदी कहानी एक छोटे से कस्बे से शुरू होती है.

कस्बे के एकमात्र बड़ी कोठी वाले किराना के व्यापारी लाला विजय कुमार हैं, जिन्हें लोग बिज्जू लाला के नाम से जानते हैं. मोटा थुलथुला शरीर, पर बातें इतनी मीठी कि शक्कर भी शरमा जाए.

एक नम्बर के बेईमान, मिलावटबाज़, मौके का फायदा उठाने वाले लालची और झूठ बोलने में माहिर व्यक्ति. बिज्जू लाला की मुख्य चौराहे पर बड़ी किराना की दूकान थी, पीछे गोदाम, ऊपर तिमंजला मकान.

किराना दूकान क्या, छोटा मोटा सुपर स्टोर समझिये. रोजाना की जरूरत का हर सामान वहां मिलता, वह भी बिना पैसे के. मतलब लाला के पास कस्बे के हर आदमी का उधार खाता था.

सबको उधार मिलता था. पर था वह केवल एक महीने का. अगर अगले महीने पैसे नहीं दिए, तो आगे उधार नहीं.

लाला लंगोट के कच्चे थे. पता नहीं, कितनों के पेटीकोट और ब्लाउज के अन्दर घूम आए थे, उन्हें खुद भी कुछ याद नहीं था.

अब वे भी क्या करें … हर इतवार को वसूली पर जाते थे, जहां से जो वसूल हो जाए. साथ में एक जवान बांका गबरू लड़का रहता था राजू.

राजू बिज्जू लाला की रखैल का लड़का था, बीज उन्हीं का था. वह रखैल तो मर गयी पर लाला को कसम दे गयी कि राजू को उन्हें ही पालना पोसना पड़ेगा.

लाला ने राजू का दाखिला पास के शहर में करा दिया. राजू ने इंटर कर लिया और लाला के पास उनके कच्चे-पक्के हिसाब देखने लगा.

राजू गठीले बदन का मजबूत कद-काठी का नौजवान था.

लाला की बीवी भी कोविड में चल बसी. उनका एक ही लड़का था, जो पढ़ लिख कर मर्चेंट नेवी में लग गया था.

वह साल में 8-9 महीने पानी वाले जहाज़ पर ही रहता था, बाकी समय लाला के पास रहता.

लाला की पत्नी ने कोविड से ठीक पहले उसकी शादी शहर की एक बहुत सुंदर लड़की रिशा से यह झूठ बोल कर करवा दी कि लड़का शादी के बाद अपनी बीवी को जहाज पर ले जाएगा.

पर हुआ उलटा.

लड़की बहुत रोई … पर फिर उसने अपना नसीब मान लिया और इसी बीच लाला की बीवी चल बसी.

अब लाला के घर को तो मानो ग्रहण लग गया. घर पर अकेली नयी बहू.

लाला का इतना बड़ा कारोबार … लाला की एक रिश्ते की भाभी कुछ दिनों तक तो आकर रहीं, फिर उनका अपना भी घर था.

लाला तो मानो हंसना ही भूल गए थे. रात को दुकान बढ़ा कर शराब पीने लगे.

सबने यही राय बनायी कि अब तो उनका लड़का अजय जॉब छोड़ कर यहीं आ जाए. पर अजय ने जॉब छोड़ने को मना कर दिया.

सच तो ये था कि वह शादी के लिए भी राजी नहीं था. उसे शादी का दैहिक सुख बाहर से लेने की आदत पड़ चुकी थी.

पर मां की जिद के आगे वह झुक गया.

उसका अपनी दुल्हन रिशा से कोई ख़ास लगाव भी नहीं हो पाया था. हां इतना था कि बेड पर दोनों एक दूसरे की शारीरिक जरूरतों को जी भर कर पूरा कर देते.

रिशा ने अजय को साफ़ बोल दिया कि वह बच्चा तब ही करेगी, जब अजय उसे अपने साथ रखे.

अंततः सभी रिश्तेदारों ने दबाव बनाकर लाला से बहुत छोटी एक गरीब पढ़ी-लिखी लड़की सरिता को ढूंढकर उनकी शादी करवा दी. सरिता तलाकशुदा थी. उसके पति ने उसको बाँझ करार दे दिया था.

वैसे सरिता सुंदर और भरे शरीर की खुशमिजाज लड़की थी. अब लाला को बच्चे तो पैदा करने नहीं थे, तो उन्हें ये रिश्ता ठीक ही लगा.

अजय से पूछा तो उसने अनमने ढंग से हां कह दी. हां, रिशा खुश थी कि चलो मां के रूप में ही सही, कोई तो घर में होगा … जिससे वह मन की बात कह सकेगी.

बिज्जू लाला ब्याह तो कर लाये पर वे सरिता का साथ बिस्तर पर नहीं दे पाए. मोटा थुलथुला शरीर, मन टूटा हुआ. कुल मिलाकर वे सरिता पर चढ़े तो कई बार, पर न तो धक्के लगा पाए, न पानी निकाल पाए. बस मम्मे चूस कर और चूत में उंगली करके लाला ठंडे पड़ जाते और बाजू होकर खर्राटे लेने लगते.

सरिता को तो एक खूंटा चाहिए था. वह इसी से खुश थी कि चलो चूत तो गीली होनी शुरू हुई.

घर में किसी चीज़ की कमी नहीं थी. पर हां … वह अपनी दोनों शादियों में शारीरिक सुख से वंचित रही.

पहली शादी में तो मानसिक और शारीरिक प्रताणना मिली थी तो सेक्स के बारे में सोचने का समय नहीं था.

पर इस घर में सुख सुविधाएँ सभी थीं, तो मोबाइल, टी-वी देख उसकी चूत अब कुलबुलाने लगी थी. वह अब एकांत में उंगली या सब्जियों का इस्तेमाल करने लगी थी.

इस तरह से घर में दो दो भूखी चूतें थीं, जो रिश्ते की शर्म के चलते आपस में अपने दुःख भी नहीं बाँट सकती थीं.

रिशा ने शुरू में तो सरिता को मां कहना चाहा, पर दोनों की उम्र में दो तीन साल का ही फर्क था तो सरिता ने उससे दीदी ही कहलवाया.

इसी तरह छह महीने बीत गए.

लाला ने तिमंजले पर एक कमरे का सैट राजू के लिए भी बना रखा था. राजू तो घर का ही सदस्य था, खाना-नाश्ता भी घर पर ही खाता.

वह सरिता को सेठानी और रिशा को भाभी कहता. राजू गठीले बदन का बांका नौजवान तो था ही, सलीकेदार और साफ़ सुथरा रहता.

लाला की नस उससे दबती थी क्योंकि लाला के सारे हिसाब किताब और गड़बड़ धंधों की जानकारी राजू के पास ही रहती. अब तो तकादे पर अक्सर राजू ही जाता.

लाला की तरह अब वह भी पेटीकोट और ब्लाउज के अन्दर के नाप लेने लगा था.

जब लाला को मालूम पड़ा तो उन्होंने उसे कसम दे दी कि वह ये सब न करे. उसके 25 साल का होने पर लाला उसकी शादी करा देंगे.

इधर राजू रिशा और सरिता से बहुत घुल-मिल गया था.

जब लाला ज्यादा खर्राटे भरते, तो कभी कभी सरिता ऊपर की मंजिल पर बने रिशा के कमरे में सोने चली जाती, जहां दोनों देर रात तक हंसी मजाक करतीं, टीवी देखतीं और सो जातीं.

एक रात बारिश जोर की हो रही थी. लाला तो ठण्ड का बहाना करके दो पैग लगा कर लुढ़क लिए.

सरिता के मन में न जाने क्या आया. उसने भी एक बड़ा सा पैग बनाया और गिलास लेकर ऊपर रिशा के कमरे में चली गयी.

रिशा उसे पैग लेकर आते देख कर हंस दी और बोली- दीदी आज क्या मूड है! सरिता ने झट से कमरा बंद किया और बोली- चल हम भी आज पीकर देखती हैं.

रिशा ने मना भी किया पर सरिता बोली- चल थोड़ी थोड़ी पी लेती हैं.

दोनों ने बुरा सा मुँह बना कर दो चार घूँट ले ही लिए.

बिजली जोर से कड़क रही थी. ठण्ड भी थी तो दोनों रजाई में घुस गईं.

रिशा बाथरूम में गयी तो सरिता उसका मोबाइल देखने लगी. सरिता ने देखा कि रिशा कोई सेक्स कहानी पढ़ रही थी. वह अन्तर्वासना की साईट थी.

सरिता उसे पढ़ने लगी. उसकी सांस जोर से चलने लगी. कहानी बहुत गर्म थी … चुदाई से भरपूर!

सरिता को लगा कि उसकी चूत में कुछ हो रहा है. उसकी उंगली अपनी नाईटी के अन्दर जा घुसी.

वह चूत कुरेदने में मस्त थी. तभी उसने देखा कि उसके पास रिशा खड़ी है.

दोनों की आंखें मिलीं. आंखों ही आंखों में वासना ने अपना रस साझा किया.

अब सरिता ने मोबाइल एक ओर रख दिया. रिशा ने लाईट बंद की और वह रजाई में लेट गयी. दोनों चुप थीं.

तभी अचानक बिजली कड़की. रिशा सरिता से चिपट गयी.

दोनों एक दूसरे को चूमने लगीं. रिशा सरिता को भींचे जा रही थी.

काफी देर की चूमाचाटी के बाद सरिता ने पहल की और अपनी और रिशा की नाइटी उतार दी. अब वे दोनों एक दूसरे से नंगी ही चिपट गयीं.

दोनों के जिस्म गर्म हो रहे थे. आज जैसा होंठों का मिलन … शायद उन्होंने कभी ऐसा सुख लिया ही नहीं था.

रिशा ने फिर भी बिस्तर पर अजय के साथ भरपूर चुदाई की थी पर उसमें अपनापन नहीं था. अजय ने केवल अपनी जिस्म की भूख मिटाई थी उसके साथ.

रिशा ने अपनी एक उंगली सरिता की चूत की ओर की. सरिता की चूत बालों के झुण्ड से भरी थी.

रिशा बोली- ये क्या दीदी … इतनी झाड़ियां!? सरिता बोली- किसके लिए साफ़ करूँ!

खैर … आज के लिए शायद इतना ही काफी था.

दोनों एक दूसरे को चूमती चाटती हुई एक दूसरे के आगोश में सो गयीं.

अब तो उनका ये आए दिन का हो गया. रिशा ने सरिता को भी चिकना कर दिया था.

दोनों अब एक दूसरे के छेद में उंगली और खीरे, केले करतीं. खूब पोर्न देखतीं.

रिशा से गर्मी पाकर अब सरिता खुद पहल करके लाला का लंड सहला देती या चूस देती. लाला खुश हो जाते और सरिता को ऊपर बैठाकर उससे चुदते.

सरिता का मन तो नहीं भरता, बल्कि आग और भड़क जाती. पर फिर भी लाला का लंड उसे कुछ तो सुख दे ही जाता.

अब वह जिस रात लाला के साथ रासलीला कर लेती तो उस रात ऊपर नहीं जाती. उसने ये इशारा रिशा को भी दे दिया था.

एक दिन लाला ने रिशा से कहा- राजू के कमरे में हिसाब किताब का लेजर रखा होगा, वह ले आओ.

उस वक्त अजय कहीं गया हुआ था.

कमरे में लेजर देखते समय रिशा को उसके बिस्तर के नीचे एक छोटा रूमाल सा मिला जो कलफ लगे कपड़े जैसा कड़क हो रहा था. फिर बिस्तर के गद्दे के नीचे दो तीन अश्लील किताबें दिखीं.

उनमें से एक किताब रिशा ने छिपा कर अपने साथ रख ली. वह रुमाल के कड़कपन का राज भी समझ गई कि राजू मुठ मारता है.

अब उसके जेहन में राजू का बांकापन आया. उसने महसूस किया कि राजू के बारे में सोचने से उसकी चूत में गुलगुली सी हो रही है.

वह लाला को लेजर देकर अपने कमरे में आ गयी और किवाड़ बंद करके किताब के पन्ने देखने लगी. उसमें सेक्स की ढेरों फ़ोटोज़ थीं.

रिशा की उंगली अपनी चूत में पहुंच गई और वह राजू के लंड का ख्वाब देखती चूत मसलने लगी.

रात को रिशा की चूत जब ज्यादा ही चुलबुलाने लगी तो वह पता नहीं क्या सोचकर दबे पाँव नीचे सरिता के कमरे के बाहर पहुंची और दरवाजे की दरार से अन्दर का नजारा देखने लगी. अन्दर लाला और सरिता दोनों नंगे थे.

सरिता लाला के ऊपर बैठ उसका लंड अन्दर करने की नाकाम कोशिश कर रही थी. पर लाला उसके मांसल मम्मों को मसल रहा था.

रिशा की इच्छा हुई कि वह भी नंगी होकर कमरे में घुस जाए. पर कुछ भी हो आखिर लाला उसका ससुर था.

वह गर्म सांसों के साथ वापिस ऊपर आ गयी.

ऊपर उसने राजू के कमरे में लाईट जलती देखी तो अन्दर झांकने की कोशिश की.

वहां भी वही नजारा था. राजू नंग धड़ंग वही अश्लील किताब पढ़ रहा था. उसके हाथों में उसका मूसल जैसा लंड था, जिसे वह मसल रहा था.

अब मामला रिशा के काबू से बाहर था. उसने तय कर लिया कि अब चाहे जो भी हो जाए, उसे भी लंड चाहिए.

उसने अपने कमरे से आकर राजू को फोन किया कि उसके पैरों में बहुत दर्द है, क्या वह आ सकता है. पर बिना आवाज के आए क्योंकि नीचे लाला ज़ी सो रहे हैं, वे न उठ जाएँ.

राजू बहुत हरामी था. वह सही मायनों में रिशा को सोच सोच कर ही मुठ मारता था.

वह समझ गया कि आज भाभी की चूत मिल सकती है क्योंकि केवल आने से कितनी आवाज होनी थी.

उसने बहुत ही मीठे ढंग से कहा- भाभी, अभी आया.

राजू जब कमरे में आया तो रिशा ने उससे कहा- आज मैं दिन में सीढ़ी से फिसल गयी थी, तो क्या तुम मेरे पैरों पर तेल लगा दोगे?

राजू की तो मानो लॉटरी लग गयी. वह फटाफट तेल की शीशी निकाल लाया.

रिशा से रुका नहीं जा रहा था. उसने कहा- राजू कमरे की लाइट हल्की कर दो. वर्ना लाइट जलती देख, दीदी ऊपर आ जाएँगी. राजू ने लाइट धीमी कर दी.

वह नीचे बैठ कर धीरे धीरे रिशा की तलवों की मालिश करता रहा.

रिशा बोली कि सीढ़ी पर लुढ़कने से चोट ऊपर को लगी है. कुछ कमर की तरफ भी है, तो घुटने के ऊपर तक और कमर की भी मालिश कर दे. ऐसा कह कर बिना उसके उत्तर का इंतज़ार किए रिशा औंधी होकर लेट गयी.

उसकी चिकनी टांगें और पाजेब राजू का ईमान डिगा गयीं. पर उसकी ज्यादा हिम्मत नहीं हो रही थी. वह नीचे खड़ा मालिश करता रहा.

रिशा अब उस पर झुंझलाई और बोली- करना है, तो ढंग से कर … वरना जा!

यह कह कर रिशा ने उसका हाथ अपनी जांघों पर रख दिया और कहा- यहां अच्छे से मालिश करो … और ऊपर बेड पर आकर बैठ कर मालिश करो.

राजू का तो लंड तम्बू बना हुआ था.

खैर … उसने हिम्मत करके रिशा की नाइटी को ऊपर करके उसकी चिकनी पिंडलियों पर मालिश शुरू की.

उसकी सांसें तेज चलनी शुरू हो गयी थीं.

तभी रिशा पलट गयी और उसकी टी-शर्ट का कॉलर पकड़कर उसे नीचे खींच कर बोली- साले हरामी, तू कैसी कैसी किताबें पढ़ रहा था और अपने मूसल को मसल रहा था, तेरी वीडियो बना ली है मैंने … सुबह लाला ज़ी को दिखाऊंगी. राजू घबरा कर बोला- नहीं भाभी, ऐसा कुछ नहीं कर रहा था.

रिशा ने उसके बरमूडा के ऊपर से उसका लंड पकड़ लिया और कहा- फिर ये कैसे बंबू बना हुआ है! चल अब ढंग से मेरी मालिश कर! यह कह कर रिशा सीधी लेट गयी और अपनी नाइटी के अन्दर उसका हाथ सीधी अपनी चूत पर रख दिया.

वह बोली- अब इधर की कर मालिश. हाथ, उंगली, जीभ और अपना औज़ार सब इस्तेमाल कर!

राजू की हिम्मत अब खुल गयी. वह रिशा की जांघों के ऊपर उसकी मखमली चूत की फांकों को मसलने लगा. उसने सपने में ऐसा नसीब नहीं सोचा था.

रिशा की गर्म सांसें अब बढ़ने लगीं. उसने अपनी नाइटी उतार फेंकी और राजू को भी नंगा कर दिया.

राजू को उसने बालों से पकड़ कर खींचा और उसका मुँह अपने मांसल मम्मों पर रख दिया.

वह किसी भूखे बच्चे की तरह अपनी भाभी के मम्मे चूसने लगा.

रिशा ने उसका लंड पकड़ लिया और लगी मसलने.

राजू का लंड अजय के लंड के मुकाबले मजबूत था. रिशा की चूत में चीटियां रेंग रही थीं.

उसने राजू से कहा- ज़रा मेरी मुनिया को चूस तो दे!

राजू नीचे हुआ तो रिशा ने अपनी टांगें फैला दीं. तब राजू ने उसकी फांकों को चौड़ाया और अपनी जीभ घुसा दी.

राजू ने अब तक जो भी दो चार चूत चोदी थीं, वह सब गाँव की गंवार औरतों की गंदी चूतें थीं.

इतनी चिकनी और मखमली चूत तो उसने केवल मोबाइल में पोर्न मूवी में देखी थी. उसने अपनी जीभ पूरी अन्दर तक घुसा दी.

रिशा की आहें निकलनी शुरू हो गयीं. उसने अपनी उंगलियों से फाँकों को और चौड़ा कर दिया और राजू के बाल खींचकर उसका सर अपनी चूत में और नजदीक कर दिया.

अब रिशा राजू के लंड का स्वाद भी लेना चाह रही थी. तो उसने राजू को ऊपर खींचा और उसका लंड अपने मुँह के पास कर दिया.

पहले तो उसने उसके टोपे को चूमा, थोड़ा थूक लगाया और हाथों से मालिश करते हुए उसे मुँह में ले लिया.

मुँह में लेते ही रिशा ने उसे बाहर निकाल दिया और बोली- साले, कब से नहीं धोया है इसे … जा धो कर आ!

अब राजू क्या कहता, उससे रिशा ने बुलाते समय थोड़े ही यह कहा था कि उसे अपनी चूत चुदवाना है, लंड धोकर आना.

राजू झट से खड़ा हुआ और खींसें निपोरता हुआ बगल के स्नानघर में जाकर धो आया.

अब आकर रिशा ने उसे नीचे लिटाया और फिर उसका लंड लपर लपर करती हुई चूसने लगी.

राजू कोई भी पहल करने में हिचक रहा था; उसे तो सब सपना सा लग रहा था. रिशा बार बार उसे झिड़कती. कभी उसके हाथ अपने मम्मों पर रखती कि मसल डाल इन्हें.

अब रिशा की चूत भी लंड को अन्दर लेना चाहती थी तो रिशा ने ढेर सारा थूक राजू के लंड पर और अपनी चूत के मुहाने पर लगाया और बैठ गयी राजू के ऊपर … और अपने हाथ से उसका लंड अपनी गुफा के महाने पर रख दिया.

अब वह राजू से बोली- पेल दे! नीचे से राजू ने धक्का लगाया, ऊपर से रिशा ने हाथ का सहारा दिया, तो लंड सीधा अन्दर गहराई तक उतर गया.

रिशा की जान निकल गयी. इतना कड़क मर्दाना लंड पहली बार उसकी चूत ने लिया था. उसकी तो चीख निकलते निकलते रह गयी.

वह नीचे हो गयी और राजू से बोली- आह दर्द होने लगा है साले … धीरे धीरे चोद मादरचोद!

राजू ने गाली को भी भाभी का प्यार समझा और बड़ी नफासत से अपना लंड रिशा की चूत में घुसेड़ कर धीरे से निकाला. इस तरह से धीरे धीरे चुदाई शुरू हो गई.

अब रिशा लंड को प्यार से लेने लगी थी. उसका दर्द भी जाता रहा था, मजा आने लगा था.

रिशा अब अपनी जोरदार चुदाई चाह रही थी.

उसने अपने लम्बे नाख़ून राजू की पीठ में गड़ा दिए और उसे अपने सीने से भींच लिया.

अब तक राजू का लंड पूरी गहराई में उतर चुका था.

रिशा ने थोड़ा ढीला छोड़ा और बोली- अब रेलगाड़ी तेज चला, देखूं कितना मर्द है तू!

अपनी मर्दानगी की बात आने से राजू भी तन गया और उसने जोरदार पेलम पाली शुरू कर दी.

अब दोनों की आहें निकल रही थीं.

रिशा को डर था कि कहीं आवाज़ नीचे न चली जाए; उसने अपनी आवाज पर काबू किया. राजू ने स्पीड पकड़ ली थी.

रिशा की दोनों टांगें ऊपर पंखे की ओर थीं, रिशा के मम्मे राजू की गिरफ्त में थे. उसके गोरे गोरे कबूतरों को राजू ने मसल मसल कर लाल कर दिया था.

राजू का स्खलन होने वाला था. उसने पूछा- कहां निकालूं?

रिशा ने कॉपर-टी लगवाई हुई थी तो उसने कहा कि अन्दर ही निकाल ले.

राजू ने ढेर सारा वीर्य उसकी चूत और पेट पर निकाल दिया.

अब रिशा ने उससे कहा- चुपचाप यहां से निकल ले … और हां ये बात किसी को कानों कान भी खबर हुई तो घर से निकलवा दूँगी.

राजू अपने कपड़े पहन कर वहां से रपट लिया. रिशा उठी और अपने को साफ़ करके सो गयी.

दोस्तो, आपको सेक्स कहानी कैसी लग रही है, प्लीज मुझे बताएं.

अगले भाग में आपको रिशा की सास के साथ राजू के लंड का गठजोड़ कैसे हुआ, वह लिखूँगा. जवानी की अन्तर्वासना हिंदी कहानी पर आप अपना प्यार भेजते रहें. [email protected]

जवानी की अन्तर्वासना हिंदी कहानी का अगला भाग: सास बहू के लिए घर में ही लंड मिला- 2

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