गांव की बहू को बच्चे का सुख दिया- 1
इंडियन देसी Xxx सेक्स लाइफ कहानी में पढ़ें कि मैंने मकान मालकिन को पोते का सुख दिया तो उसने अपने भाई की पुत्र वधू को भी गर्भधारण करवाने के लिए बुला लिया.
दोस्तो, मैं आपका मित्र अजय. तब हरियाणा के रोहतक मेडिकल कॉलेज से मैं गायनी में पोस्ट ग्रेजुएशन कर रहा था।
जैसा कि मेरी पिछली कहानी मकान मालिक की बहू को बच्चे का सुख दिया में पढ़ा कि गीता को चोद कर बच्चा पैदा किया।
अब आगे इंडियन देसी Xxx सेक्स लाइफ कहानी:
गीता अपने बच्चे को लेकर रमेश के साथ दिल्ली लौट गई। बूढ़ी अम्मा ने अपने भतीजे राजू की बहू यानि पत्नी को रोहतक बुला लिया इलाज के लिए!
उसका नाम मंजू, उम्र लगभग 28 या 30 साल. कद छोटा करीब 4 फीट 8 इंच। भरा बदन, रंग सांवला, बेहद खूबसूरत, नैन नक्श किसी को भी अपनी ओर आकर्षित करने वाले।
मंजू के पति राजू की उम्र यही कोई 32 के लगभग; किसान खेतिहर मजदूर, शरीर साधारण, सिर के बाल कम, खिचड़ी जैसी दाढ़ी … सब मिलाकर गरीबी अपना अहसास करा रही थी।
मैंने राजू ओर मंजू से पूछा- शादी को कितने साल हुए? वे बोले- छटा चल रहा है!
मैंने पूछा- क्या कोई ईलाज करवाया? राजू बोला- डाक्टर साहब, इलाज के पैसे ही नहीं बचते, दूसरों के खेतों पर काम करता हूं। मां पिता बुजुर्ग हैं। घर खर्च चलाऊं या इलाज करवाऊं।
मैंने अम्मा से कहा- इनको अस्पताल लेकर आ जाना, टेस्ट करा कर देख लूंगा।
दूसरे दिन अम्मा दोनों को लेकर अस्पताल आईं। मैंने दोनों का टेस्ट किया।
पहले राजू का परीक्षण किया, वीर्य के सैंपल लेकर लेब टेस्ट को भेजे। फिर मंजू का टेस्ट किया।
जब मैं अपरेशन थिएटर में मंजू को टेस्ट करने के लिए बेंच पर लेटने को बोला तो वह लेट गई।
जैसे ही मैंने उसका पेटीकोट ऊपर किया तो उसने करने नहीं दिया। कहने लगी- मुझे शर्म आ रही है। मैंने कहा- ठीक है, घर जाओ. मैं इलाज नहीं कर सकता। वह चुपचाप लेट गई; उसने अपना पेटीकोट ऊपर किया।
गांव की थी अंदर चड्डी भी नहीं पहने थी। जैसे ही मैंने उसकी चूत देखी, वह बड़ी बड़ी झांटों से ढकी हुई थी। चूत पर घने जंगल जैसे झांट थीं, जाने वर्षों से नहीं काटी होंगी।
मैंने कहा- ये बाल क्यों साफ नहीं करती हो? बोली- गांव में समय भी नहीं मिलता। मैंने कहा- कैसे चेक करूंगा?
मैंने कहा- इसको मैं साफ कर दूं? वह चुप रही।
मैंने कहा- बोलो? वह बोली- ठीक है कर दो।
मैंने शेविंग किट निकाला और उसकी झांटों पर साबुन लगा कर थोड़ी देर छोड़ दिया। फिर रेजर से धीरे धीरे सारे बाल हटा दिए.
उसकी चूत पाव रोटी की तरह फूली थी। मैंने सावधानी से उसकी चूत के बाल साफ़ किए। इसके बाद पानी का स्प्रे कर कपड़े से साफ किया।
वैसे तो अस्पताल में यह सब काम नर्स करती है पर जानबूझकर मैंने खुद किया ताकि मंजू मेरे सामने खुल जाए.
तब मैंने उसकी टांगें फैला कर उसकी चूत को देखा; दोनों हाथों से उसकी चूत के होठों को चौड़ा किया।
मैंने चूत के अंदर चेक किया, देखा कि बच्चे दानी के मुंह का छेद बहुत छोटा है, वीर्य अंदर तक नहीं जा पाता है। बच्चे नहीं होने का कारण यही है।
मैंने तीनों को घर भेज दिया।
शाम को घर आया तो अम्मा जी ने पूछा- क्या इलाज हो सकता है? मैंने कहा- मंजू का एक छोटा ऑपरेशन करना पड़ेगा।
अम्मा बोली- कितना खर्चा होगा? जो भी हो, मैं दूंगी. ये तो गरीब है. मैंने कहा- सब कर दूंगा पर आपसे कोई पैसा नहीं लूंगा। बस इसे समझा दो कि जैसा मैं कहता हूं वैसा ही करे … तो ही खुश खबर मिल सकती है। हां, राजू दवाई ले कर घर जा सकता है। मंजू को यहां लगभग 2 महीने रुकना पड़ सकता है। इनके रहने की व्यवस्था आप देख लो।
अम्मा बोली- डाक्टर, ये मेरे भतीजे की बहू है यहीं रमेश के कमरे में रह जायेगी। उसका बेडरूम खाली है। जब गीता रमेश आएंगे तो सब एडजस्ट हो जाएंगे। और अम्मा ने मंजू को समझा दिया।
अगले दिन मैंने उसे अस्पताल में भर्ती करवाया; उसके सारे टेस्ट करवाए। उसकी चूत के अंदर बच्चेदानी का रास्ता बंद था।
उसे बेहोशी का इंजेक्शन देकर बेहोश कर अंदर से बच्चेदानी के मुंह को खोल दिया। बहुत सामान्य ऑपरेशन था।
दो दिन अस्पताल में भर्ती रखा, महिला वार्ड में भेज दिया।
वार्ड में राजू ही रात दिन उसके पास था। खाने की व्यवस्था मैंने अस्पताल से करवा दी।
गीता उसी दिन अपने 5 माह के बच्चे और रमेश को लेकर उसे देखने आई।
दिन में रमेश अस्पताल में मंजू को देखकर दिल्ली लौट गया। वह गीता से कह गया- जब आना हो मुझे फोन कर देना। मैं लेने आ जाऊंगा।
अब गीता अपने बच्चे के साथ अकेली रह गई।
रात को वह मेरे कमरे में आई बच्चे को गोद में लेकर! बोली- लो अपने बेटे को गोद में तो ले लो।
मैंने बच्चे को गोद ले लिया। वह रोने लगा।
गीता ने उसे झट से अपनी गोद में लेकर अपने बलाऊज को ऊपर सरका कर बोबे से लगा लिया। बोबा चूसते चूसते बच्चा सो गया।
बच्चा पैदा होने के बाद गीता का रूप निखर आया था। उसके बोबे और बड़े हो गए थे।
उसने बच्चे को बेड के किनारे दीवार की तरफ धीरे से सुला दिया। मैंने कहा- गीता, मुझे भी अपना दूध पिला दो। वह बोली- मेरे राजा, दूध तो क्या सब कुछ आपका है।
उसने बलाऊज के बटन खोले और बलाऊज एक तरफ फेंक दिया। अब वह पेटीकोट और काली ब्रा में थी।
मैंने उसके चूचों को ऊपर से दबाया। उसने अपने आप ब्रा के हुक खोल दिए। उसके दोनों कबूतर आजाद हो गए।
बोबे का साइज पहले से बढ़ कर 38″ हो गया था।
मैंने उसके चूचों को मुंह में भर लिया और चूसने लगा। उसमें से मीठा मीठा दूध निकल रहा था। मैं चूस चूस कर पी रहा था।
मेरा लंड खड़ा हो गया था।
मैंने उसके पेटीकोट का नाड़ा खोल कर उसे नीचे खींच कर उतार दिया। अब वह केवल पैंटी में थी, उसके बोबे लटक रहे थे।
मैंने अपना लंड उसके मुंह में दिया। उसने तबीयत से चूसना शुरू कर दिया। ‘चपड चपड़ हूं हुं पुच पच हन्न’ की आवाज आ रही थी।
मेरे लंड से लंड रस की पिचकारी छूटी; उसका पूरा मुंह भर गया। वह सारे के सारे को गटक गई। उसने मेरे लंड को आइसक्रीम की तरह चाट कर साफ कर दिया।
मैं उसके साथ बेड पर लेट गया।
एक हाथ से उसके चूचों को मुंह में भर चूस रहा था। दूसरा हाथ से उसकी पैंटी को नीचे कर रहा था। उसने भी इसमें मेरी मदद की।
मैं उसकी चूत में अंगुली घुसा कर अंदर बाहर करने लगा।
उसे भी मज़ा आ रहा था। उसकी चूत से पानी निकलने लगा।
मैंने उसकी दोनों टांगों को अपने कंधों पर रखा, अपने लंड को उसकी चूत के मुंह पर रखा और धीरे से दबा दिया। चूंकि चूत चिकनी थी। बिना किसी रुकावट के लंड सुपारे सहित अंदर चला गया। अब उसे पहले जैसी परेशानी नहीं हुई क्योंकि चूत से बच्चा निकला था।
मैं अपने लंड को आराम से अन्दर बाहर कर रहा था। गीता को भी मजा आ रहा था।
वह सिसकारी भरने लगी, आ आह ओह सी सी करते हुए अपनी कमर उठा उठा कर ऊपर नीचे करने लगी और बोली- मेरे राजा, और जोर जोर से चोदो मुझे! फाड़ दो मेरी चूत! मैं बोला- वो तो मैं पहले ही फाड़ चुका हूं।
मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी और तेजी से धकाधक करते हुए उसकी चूत में झड़ गया और निढाल हो कर उसके ऊपर गिर गया।
अब मैंने पूछा- कितने दिन के लिए आई हो? वह बोली- मेरे राजा, आप बताओ … हमेशा के लिए रह जाऊं आपके पास!
मैंने हंसते हुए कहा- बताओ न? वह बोली- गांव वाली मंजू की अस्पताल से जब तक छुट्टी नहीं मिलती तब तक!
मैं बोला- उसे तो छुट्टी देना मेरे हाथ की बात है. वहां से 2 दिन में डिस्चार्ज कर देंगे। वह बोली- तो मैं चली जाऊंगी। मैंने कहा- चलो 4 दिन बाद डिस्चार्ज कर देंगे; तब तक हम दोनों मजे लेते हैं।
वह बोली- मंजू में क्या खराबी है? मैंने कहा- उसकी बच्चेदानी का मुंह बंद था। वो मैंने ऑपरेशन से खोल दिया है।
“और राजू का क्या?” मैंने कहा- उसका लंड बहुत पतला है; छोटा भी है। बच्चे दानी तक उसका वीर्य नहीं पहुंच पाता है।
वह बोली- इसका क्या इलाज है? मैंने कहा- वही … जो तुम्हारा किया है। क्या इसके लिए वह राजी हो जायेगी?
वह बोली- क्या पता … आप कोशिश करके देख लेना!
इतने में बच्चा जाग गया। वह कपड़े पहन कर उसे गोद में लेकर चली गई।
इस तरह मैंने उसे लगातार 4 रात खूब चोद कर मजे किए।
चौथे दिन मंजू अस्पताल से घर आ गई।
गीता शाम को रमेश के साथ दिल्ली जाते जाते मंजू से कह गई- यदि गोद हरी करनी है तो डाक्टर साहब जैसे बताएं, वैसा ही करना।
कहानी अगले भाग में समाप्त होगी. आपको यह इंडियन देसी Xxx सेक्स लाइफ कहानी कैसी लगी, मुझे मेल और कमेंट्स में बताएं. [email protected]
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