परी सी लड़की की चूत मेरी किस्मत में- 2
हॉट वर्जिन सेक्स विद नेक्स्ट डोर गर्ल का मजा मुझे मिला मेरे चाचा की बेटी की सहेली से। वह उनके पड़ोस में रहती थी। मैं चाचा के घर गया तो उससे नजर लड़ गई।
फ्रेंड्स, मैं रोहित आपको अपने चाचा की पड़ोसन लड़की रिया की चुदाई की कहानी सुना रहा था. कहानी के पहले भाग जवान लड़की की चुदाई की आतुरता में अब तक आपने पढ़ा था कि मैं एक छोटी सी तौलिया बांधे खड़ा था और रिया मेरे सामने आकर मुझे देखने लगी.
अब आगे हॉट वर्जिन सेक्स विद नेक्स्ट डोर गर्ल:
तभी रिया आगे को आयी और बोली- मैंने चाय बना ली है, काफी टाइम हो गया … ठंडी हो रही है. पहले पी लो फिर तैयार हो जाना आप! मैं- जी.
तब मैं टॉवल में ही चल दिया.
वह मेरे सामने सोफे पर बैठ गई और मैं दीवान पर था. वह चाय पीने लगी और मैं भी.
तभी उसने अपने पैरों को सोफे पर इस तरह से फैला कर रखा, जिससे उसकी टांगें सोफे के हैंडल से टच हो गईं और पैर चौड़े हो गए. इस तरह से बैठने से उसकी चूत मेरे सामने साफ़ साफ़ दिखने लगी थी.
शायद उसकी चूत मुझसे कह रही थी ‘ना सील टूटी है, मेरी ना ही टूटा है हौसला … आओ मेरी टांगों के बीच, आकर बनाओ घौंसला.’
बस फिर क्या था जनाब … रोहित के छोटे साब फिर से खड़े हो गए टॉवल में और टॉवल की पकड़ भी ढीली पड़ गयी.
मैं अब आपको उसकी चूत की सुंदरता बताता हूँ दोस्तो, कैसी चूत थी उसकी!
एक छोटी सी मौसमी की दो फाँकों जैसी दो छोटी छोटी खापें, कसके आपस में चिपकी हुई थीं. एकदम गोरी गुलाबी सी रंगत लिए हुई, बिना बालों की चूत देख कर बस यह लग रहा था मानो जन्नत का दरवाज़ा यही है.
इधर मेरे मन के अन्दर अब एक उथल-पुथल थी कि क्या करना चाहिए!
आप सभी लड़कियां और भाभी जी लोग बहुत अच्छे से जानती हैं कि कोई लड़की कभी भी पहल नहीं करती, सिवाय हिंट देने के! वैसे भी जन्नत मेरे सामने थी और अब जो करना था, मुझे करना था … जन्नत बुला रही थी. मैं सोच रहा था कि क्या करूं!
फिर मैंने पहले जल्दी से चाय पी और मेरे कदम अपने आप आगे बढ़ने लगे. पता ही नहीं चला कि मेरे लौड़े पर कसी टॉवल कहां टपक गयी. मैंने जल्दी से कप टेबल पर रखा और जमीन पर घुटनों के बल बैठ कर उसकी टांगों को पकड़ कर अपना मुँह उसकी चूत पर लगा दिया.
इस समय वह बिल्कुल असहज नहीं थी. पर मेरी कहानी पढ़ रही सभी लड़कियां और भाभियां अच्छी तरह से जानती हैं कि जब चूत पर किसी मर्द की जीभ चलती है, तो औरत के शरीर में एक करंट सा दौड़ जाता है और वह चरमसुख के सागर में गोते खाने के अलावा और कुछ नहीं कर पाती.
तो वही हुआ, उस समय ना चाहते हुए भी उसने मेरे सिर को पकड़ा और चूत पर दबाती हुई सहलाने लगी. बीच बीच में वह मेरे सर को ऐसे खुद में धकेलती, जैसे मुझे अपनी चूत में समा लेना चाहती हो.
मैंने रिया की चूत से अपना मुँह हटाया और जैसे उस पर अपने हाथ से हल्के हल्के अपनी उंगलियां फिराने लगा.
अब उसकी चूत गीली हो चुकी थी और उसमें से एक बहुत मादक सुगंध आ रही थी. मैं यूँ तो पागल हुआ जा रहा था, पर मैंने रिया को देखा तो समझ आया कि सारा आनन्द आज उसके ही हिस्से में था.
वह जैसे किसी मतवाली रांड की तरह इस सबका मज़ा ले रही थी और उसका पूरा बदन कांपने लगा था. रिया के मुँह से ‘ओहह … ओहह …’ की आवाजें आ रही थीं.
तभी मैंने उसको गोदी में उठा कर दीवान पर पटक दिया और मैंने उसे नंगी कर दिया ताकि उसके बदन की सुंदरता को निहार सकूं. क्या बताऊं यारो, आज तक का मेरी लाइफ का सबसे खूबसूरत बदन था उसका!
उसे शानदार गुड़िया, या परी कहूँ तो ज्यादा अच्छा होगा. मुझे उसको भोगने की लालसा ऐसे बढ़ रही थी, मानो आज कामदेव मैं ही हूँ और वह मेरी रति!
मैं उसके ऊपर आया और बिना किसी देरी के अपने होंठों को रिया के होंठों पर रख कर उनको चूसने लगा.
मैं रिया के होंठों को बेदर्दी से चूसने लगा. बीच में तो एक बार मैंने उसके होंठों पर ज़ोर से काट भी लिया जिस पर वह तड़प कर रह गयी.
हम दोनों ने करीब 10 मिनट तक एक दूसरे को चूसा होगा.
तभी घर की डोर बेल बजी मैं और रिया घबरा गए.
मैं उठा और मैंने टॉवल लपेट ली. उसने कपड़े पहन लिए. फिर रिया ने ‘आती हूँ’ की आवाज दी और गेट खोल कर देखा कि कौन आया है?
मेरी बहन- रिया, भाई नहा लिए क्या, वहाँ ताऊजी बुला रहे थे! पीछे से मैं बोला- हां आया, बस दो मिनट में!
बहन- ओके, भाई! मैं जाकर उन्हें बताती हूँ. बहन के जाते ही मैंने जल्दी से कपड़े पहने और रिया को किस करके निकल आया.
मैं जैसे ही घर में घुसा, मेरे चाचा जी के साले अपने परिवार के साथ आ गए थे.
शायद आज हमारी किस्मत में कुछ और ही लिखा था क्योंकि उनके आने से फ्लैट में सोने की समस्या होनी तय थी.
जैसे तैसे रात का समय आया, सबके बिस्तर लगने लगे. दिल और लंड प्यासे रह गए थे, कहीं दिल नहीं लग रहा था. सब कुछ होते हुए भी अकेलापन महसूस हो रहा था.
तभी रिया ने दरवाजा खोला और वह चाची जी से कुछ बात करने लगी. थोड़ी देर के बाद, चाची जी ने चाचा जी से कुछ कहा और फिर उन दोनों में बात होने लगी.
मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि क्या हो रहा है. इधर मैं अपने इष्ट कामदेव जी से प्रार्थना कर रहा था कि हे प्रभु जी कुछ तो कीजिये वरना मैं आज प्यासा ही रह जाऊंगा!
तभी मेरी प्रार्थना स्वीकार हुई और चाचा जी पापा जी से बोले- भाई साब, अगर कोई समस्या न हो तो आप और रोहित, रिया के यहां जाकर सो सकते हैं क्या? पापाजी- राजेश, मुझे कोई समस्या नहीं है, मैं चला जाता हूँ.
मुझे तो वैसे ही कुछ नहीं कहना था. उसके बाद हम दोनों रिया के घर में आ गए.
उसने हमारा बिस्तर दीवान पर लगा दिया. हम लेट गए, पर नींद किसे आनी थी भेनचोद … और सोना भी कौन चाहता था! मैं तो बस पापा जी के सोने का इंतज़ार कर रहा था.
लगभग एक घंटा के बाद लगा कि शायद पापाजी सो गए हैं. मैं उठा और रिया के कमरे में आ गया, जहां वह सो रही थी.
मैं उससे जाकर चिपक कर लेट गया और उसके चूचों को दबाने लगा. वह कसमसाई मगर मैंने झट से उसकी स्कर्ट निकली फेंकी.
वह जाग रही थी, उसको भी नींद किधर आनी थी. उसको भी तो मेरा प्यार पाना था.
फिर मैंने उसका टॉप भी उतार दिया. उसके बाद मैंने अपने कपड़े भी उतार फेंके.
अब मैं इनको बर्दाश्त नहीं कर पा रहा था. दिल में तम्मना थी कि जहां से उसे छोड़ा था, वहीं से गेम फिर से स्टार्ट करूं.
मैंने धीरे से कान में पूछा- लाइट का बटन किधर है? उसने कहा- सामने.
मैंने लाइट ऑन कर दी और उसके ऊपर चढ़ गया. उसके बूब्स फिर से चूसे, जो चीकू की तरह छोटे छोटे थे, पर नुकीले थे.
उसके बाद रिया के पेट पर किस किया और एक बार उसकी चूत पर भी चूमा. मैं इससे ज्यादा देरी बर्दाश्त नहीं कर सकता था, मैंने अपना लंड उसकी चूत पर रख दिया और अपने लंड को उसकी चूत पर रगड़ने लगा.
वह लंड के गर्म अहसास को महसूस करने लगी और उसकी कामुक सिसकारी निकल गई. मैं बहुत प्यासा था तो ज्यादा वक़्त इंतज़ार नहीं कर सकता था.
इसलिए मैंने उसको बेड के किनारे पर खींचा और खुद भी नीचे आ गया, एक तकिया उसके चूतड़ों के नीचे लगा दिया, उसकी टांगों को अपने कंधों पर रखा और लंड उसकी नन्ही सी चूत पर रख दिया जो शायद दो इंच से भी कम की थी.
जैसे ही मैंने एक शॉट मारा, वह उछल पड़ी और ज़ोर से चिल्लाई- उई मां चुद गई. शायद उसकी आवाज़ पांच किलोमीटर दूर तक गयी होगी.
मुझे ऐसा लगा जैसे हमारे प्यार का शंखनाद हुआ हो. वह तड़फने लगी और बोली- मुझे छोड़ो प्लीज!
मैंने उसको अनसुनी कर दिया और उसके चूचों को अपने हाथों से कसके पकड़ा और दबाने लगा.
मैं वहीं रुक गया था ताकि उसका दर्द कम हो और वह थोड़ी स्थिर हो गई.
उसको मैं छोड़ना नहीं चाहता था. तभी हमारे कमरे का दरवाज़ा खुला. मैंने सकपका कर उधर की तरफ देखा कि इतनी रात में कौन आया.
देखा कि पापा जी ने कमरे को खोला और उन्होंने हमें उस पोजीशन में देख लिया.
मैं बिल्कुल भी हटने के मूड में नहीं था, मैं कुछ नहीं बोला और लंड का धक्का और बढ़ा दिया. इससे रिया की एक सिसकारी फिर से निकल गयी.
पापा जी वहां से यह कहते हुए निकल गए- वह मुझे किसी के चीखने की आवाज़ आयी तो मैं ये देखने आया कि क्या हुआ, कोई बात नहीं आप लगे रहो बच्चो! और पापा मुस्कराते हुए निकल गए.
तभी मैंने फिर से लंड का दबाव उसकी चूत पर बढ़ा दिया. अब आधे से ज्यादा लंड चूत में जा चुका था.
मैंने एक और शॉट मारा और पूरा लंड उसकी चूत में उतार दिया. वह एक बार फिर से चीखी, आज उसे बचाने वाला वहां कोई नहीं था.
मैंने अपने लंड को बाहर खींचा और फिर से अन्दर ठांस दिया.
मेरा लंड लहूलुहान हो गया था, आज मेरी ये बारहवीं कुंवारी चूत थी जिसको चोद कर मैं कली से फूल बना रहा था. रिया की मादक सिसकारियां बढ़ने लगीं.
चूत की दीवारों से घर्षण करता हुआ मेरा लंड अब अन्दर बाहर हो रहा था. उसकी दर्द वाली सिसकारियां अब आनन्द वाली सिसकारियों में तब्दील होने लगी थीं.
उसने नीचे से … और मैंने ऊपर से धक्के लगाने शुरू कर दिए. धकापेल चुदाई चलने लगी.
मैं उसके एक चूची को अपने मुँह में दबा कर चुदाई का मजा ले रहा था और वह ले रही थी. फिर वह समय आया, जब मैं अपने स्खलन की ओर बढ़ने लगा था.
उसकी चूत और मेरे लंड में भीषण युद्ध छिड़ गया था और अब यह युद्ध अपने अंतिम पड़ाव की तरफ आने लगा था. उसी वक्त लंड ने अपनी पिचकारी चूत के अन्दर ही छोड़ दी.
हमारा यह खेल बहुत लंबा तो नहीं चला, लेकिन दोनों संतुष्ट जरूर हो गए थे. इधर मैं इतरा रहा था और उधर मेरा लंड.
हॉट वर्जिन सेक्स विद नेक्स्ट डोर गर्ल करके हम दोनों थोड़ी देर चिपक कर लेट गए.
कुछ देर में ही दूसरा दौर छिड़ गया. इस बार उसमें गजब की मस्ती थी. वह लंड पर चढ़ कर झूला झूली और अपने दूध मेरे मुँह में देकर चुसवाती हुई मजा ले दे रही थी.
इस तरह मैंने उसे सारी रात में पांच बार चोदा और हर बार यह सोच कर चोदा कि आज के बाद ये चूत मुझे नहीं मिलेगी. मैंने उसकी चूत चोद चोद कर रसगुल्ला सी सुजा कर लाल कर दी.
मैं सभी भाइयों, दोस्तों, लड़कियों और भाभियों से कहूंगा कि वह अपना कीमती समय निकाल कर अपना अनुभव ज़रूर साझा करें ताकि मैं भी जान सकूं कि मेरे पाठक मेरी कहानी पढ़ कर कैसा महसूस करते हैं. अगर आपके मेल मुझे मिले और आपने मेरी इस Xxx कहानी को पसंद किया तो मेरे पास आगे और भी बहुत कुछ है.
जैसे
पहला- चूत वाली वाली ये बताएं कि मेरी सेक्स कहानी पढ़ कर अपनी चूत में मेरे नाम की उंगली की या नहीं … और हां सच सच बताना! दूसरा- लंड वालों ने मुठ मारी या नहीं … और हां थोड़ा थोड़ा जलन हुई या नहीं? तीसरा- मेरा अनुभव कुंवारी कली को फूल बनाने का ज्यादा है, सो आप शर्माएं नहीं … जिंदगी के मज़े खुल कर करें. चौथा- आपके कीमती अनुभव के बाद ही बताऊंगा कि पापाजी ने रिया को उस रात कैसे चोदा, उसके बाद हम बाप बेटे कैसे दोस्त बने और पापा जी ने मेरे से किस किस को चुदवाया.
हॉट वर्जिन सेक्स विद नेक्स्ट डोर गर्ल कहानी पर आपके जवाब की प्रतीक्षा में आपका अपना रोहित. [email protected]