अनजान भाभी की प्यासी चूत में मेरा लंड
हॉट सेक्सी भाभी की चूत का मजा मुझे दिया मेरे घर के पास रहने वाली एक भाभी ने! उसने मुझे सरे बाजार लाइन दी तो मैंने तुरन्त उसका फोन नम्बर मांग लिया.
दोस्तो, मैं आपका साथी युवराज हूँ. मैं एक बार फिर से आप लोगों के सामने एक नई सेक्स कहानी के साथ हाजिर हूँ.
मेरी पिछली सेक्स कहानी बड़ी चूचियों वाली गर्लफ्रेंड की चुदाई को इतना प्यार देने के लिए और मुझे मेल भेजने के लिए बहुत बहुत शुक्रिया.
यह अभी कुछ समय पहले की बात है.
मैं दिल्ली में रह रहा हूं और मेरी जॉब की टाइमिंग 3:00 से 12:00 है.
एक दिन मैं रूम से जैसे ही निकला, तो मेरे सामने एक कुत्ते का बच्चा गाड़ी के नीचे आ गया था. उसे देख कर मुझे दया आ गई और मैं गाड़ी वाले से लड़ने लगा.
वहां पर भीड़ इकट्ठा हो गई थी. फिर जब सब कुछ सुलझ गया तो मैंने उस कुत्ते को हॉस्पिटल पहुंचाया और फिर मैं ऑफिस की तरफ निकला.
मैं जैसे ही उस भीड़ में से निकला तो मुझको एक भाभी टाइप की कमसिन औरत देख कर मुस्कुराती हुई निकल गई. मैं थोड़ा सा रुका, फिर चलने लगा.
मैंने पहले तो सोचा कि छोड़ो क्या करना.
लेकिन तभी मेरे लौड़े ने मुझसे सवाल किया ‘क्यों छोड़ो?’
फिर मैं वापस से मुड़ा और देखा तो वह मेरी ओर ही देखती हुई जा रही थी. मैं भी अपना रास्ता भूल कर उसके पीछे-पीछे जाने लगा.
शायद भाभी ने कनखियों से मुझे अपने पीछे आटा हुआ देख लिया था तो उनकी गांड ने मटक कर मुझे रिझाना शुरू कर दिया था. कुछ दूर जाकर वह एक दुकान पर रुक कर सामान लेने लगीं और मैं दुकान के बगल में खड़े होकर उन्हें देखे जा रहा था.
वे भी मुझे देख देख कर बार-बार स्माइल कर रही थीं. मैंने अपने हाथ से उनको फोन का इशारा किया. उन्होंने देख लिया और मुस्कुरा दी.
वे सामान लेकर नीचे उतरीं और मेरे सामने से जाते-जाते बोलीं- क्या हो गया? मैंने अपने हाथ से अपना फोन उनकी तरफ बढ़ाते हुए कहा- कुछ नहीं, बस आपका नंबर चाहिए. आप बहुत अच्छे लगे.
उन्होंने मेरा फोन लिया और उसमें अपना नंबर डायल करके वापस मुझे दे दिया. इस तरह से भाभी ने मुझको अपना नंबर दिया और चली गईं.
मैं भी ठंडी आह भरता हुआ उनकी मटकती हुई गांड को निहारता रहा और अपने ऑफिस के लिए निकल गया.
ऑफिस पहुँच कर मैंने उनको मैसेज कर दिया ‘हाय, मैं आपका शैदाई.’ वे भी जवाब में बोलीं- ऐसे तो हजारों हैं.
मैंने लिखा- मगर मैं मर मिटा हूँ. उन्होंने हंस कर चुंबन उछलाने वाली इमोजी भेजी.
इस तरह से हमारी कुछ देर बात हुई. वे बोलीं- मुझे भी जॉब चाहिए, कहीं लगवा दो?
मैंने कहा- जॉब तो लग जाएगी मगर इंटरव्यू भी तो निकालना होगा. उसके लिए आपको इंग्लिश आनी चाहिए. वे हंस कर बोलीं- मुझे इंग्लिश बोला नहीं आती, हां पीना आती है.
मैंने कहा- मैं सिखा दूंगा. वे बोलीं- अच्छा, कैसे सिखाओगे?
मैंने बोला- कैसे भी … लेकिन क्या जो मैं सिखाऊंगा, वह आपको समझ में आ जाएगा? भाभी बोलीं- हां आ जाएगा.
मैंने कहा- ठीक है. अपना पता भेज दो.
भाभी ने अपना पता मैसेज से भेज दिया. वे मेरे घर के बाजू वाली गली में ही रहती थीं.
मैंने उन्हें बताया तो वे कहने लगीं- हां शाम को पार्क में मिलती हूँ. मैं शाम को अपने एक दोस्त की स्कूटी लेकर उनसे पार्क में मिलने गया. हालांकि स्कूटी की कोई जरूरत नहीं थी. लेकिन यह सोच कर स्कूटी ले ली थी कि कहनी घूमने जाने का मूड बन गया तो सही रहेगा.
शाम को भाभी से बात हुई. उन्होंने अपने बारे में बताया कि पति इधर नहीं रहते हैं. वे गांव में रहते हैं. मुझे जॉब के कारण यहां रहना पड़ रहा है.
मतलब उनके घर में कोई नहीं था.
जॉब की पूछने पर भाभी ने बताया कि यह जॉब अच्छी नहीं है. मुझे बदलना है. भाभी पढ़ी लिखी थीं और वे मुझसे अंग्रेजी न आने वाली बात को लेकर मजाक कर रही थीं.
उनसे बातें करते हुए मैं उन्हें इधर-उधर टच करने लगा. भाभी बोलीं- क्या इरादा है मिस्टर?
मैंने कहा- वही, जो आपका मन चाह रहा है. उन्होंने कहा- आज मेरा कुछ भी मन नहीं है.
मैंने कहा- क्यों? मुझे लगा कि आज भाभी की दुकान माहवारी की वजह से बंद होगी.
लेकिन उन्होंने बताया- आज मेरा व्रत है. यह सुनते ही मैंने उनको छूना बंद कर दिया और कहा- तो आज आप अपने रूम पर जाओ.
वे बोलीं- चलो आप ही छोड़ दो. मैंने भाभी को स्कूटी से वापस उनके घर छोड़ दिया.
वे बोलीं- कल मिलती हूँ. मैंने कहा- कल किस तरह से मिलना होगा?
वे बोलीं- जैसे आप चाहोगे. मैंने कहा- मैं तो चढ़ कर मिलना चाहता हूँ.
भाभी हंसी और बोलीं- आज मैं अपने मुँह से कुछ भी नहीं बोलूँगी. कल आना, कल मिल कर बात करते हैं. मैं समझ गया कि आज भाभी जी पूरी तरह से व्रत का पालन कर रही हैं.
मैं उनके पास से चला आया. अब मेरे दिमाग में बस भाभी की चूत चढ़ी हुई थी.
मैं सुबह जागा और सबसे पहले सीधे मेडिकल स्टोर गया. उधर से मैंने कंडोम का पैकेट खरीदा और रूम पर वापस आ ही रहा था कि उतने में मुझे भाभी दिख गईं.
मैं बोला- अरे आप, इतनी सुबह कैसे? भाभी बोलीं- मैं इधर हर रोज सुबह दूध लेने आती हूँ.
मैंने कहा- अच्छा, यह तो और भी सही है. चलो अब आप आ ही गई हैं, तो मैं आपको अपना रूम दिखा देता हूं. वे मेरे साथ चल दीं.
हम दोनों मेरे रूम में आए. फिर मैं अपने बिस्तर पर लेट गया और वे मेरे रूम में इधर उधर नजर दौड़ा कर देखने लगीं.
मैं अपने लंड सहला रहा था और भाभी के बिस्तर पर आने का इंतजार कर रहा था. भाभी- तुम्हारी यह शर्ट अच्छी है.
वे इधर उधर की बातें कर रही थीं. इतने में मैंने उनका हाथ पकड़ा और उनको खींच कर अपने साथ लेटा लिया.
वे हंसने लगीं. मैंने उनका हाथ पकड़ कर सीधा अपने लंड पर रख दिया और लंड रगड़वाने लगा.
वे लंड की सख्ती को महसूस कर रही थीं. मैं उनको किस करने लगा. वे तो मानो इसी का इंतजार कर रही थीं, उन्होंने मुझे एक बार भी नहीं रोका.
अब मैंने उनके हाथ से अपना हाथ हटा दिया तो वे खुद ही धीरे-धीरे से मेरा लंड सहलाने लगीं.
मैंने कहा- कैसा लगा? वे बोलीं- कितना लंबा लंड है. मेरे पति का इतना बड़ा नहीं है.
मैंने कहा- इसलिए तो मैं तुम्हारा पति नहीं हूं … बस तुम्हारा प्रेमी हूँ. वे हंस दीं और बोलीं- प्रेमी सता रहा है.
मैंने कहा- बिल्कुल नहीं मेरी जान … अभी सताना शुरू ही कहां किया है. वे लौड़े को मसलती हुई वासना से मेरी आंखों में देखती हुई कहने लगीं- तो शुरू क्यों नहीं कर रहे हो?
मैंने कहा- कहां से शुरू करूं? वे बोलीं- पहले कपड़े उतार दो.
मैंने ओके कहा और धीरे-धीरे करके उनके सारे कपड़े उतार दिए. वे सिर्फ ब्रा और पैंटी में मेरे सामने कहर ढा रही थीं.
मैंने उनके एक दूध को दबाते हुए कहा- मस्त संतरे हैं. वे हंस कर बोलीं- तो छिलका उतार कर चूस लो.
मैंने कहा- हां वो तो करूंगा ही … पर मेरे छिलके भी तो उतार दो, फिर मैं भी आपको केला खिलाऊंगा! वे मेरे कपड़े उतारने लगीं.
सारे कपड़े उतर जाने के बाद मैं नंगा ही भाभी के सामने अपने लंड सहला रहा था.
भाभी भी मेरे लौड़े को हाथ में लेकर मसलने लगीं ‘कितना कड़क हो गया है ये!’ मैंने कहा- हां कड़क तो बहुत हो गया है लेकिन अभी चिकना नहीं है. इसको थोड़ा गीला करो ना!
वे हंस कर बोलीं- क्यों तुम्हारे पास तेल नहीं है क्या? मैं समझ गया कि भाभी ने या तो कभी मुँह में लंड नहीं लिया है या ये लंड चूसना नहीं चाहती हैं.
मैं सीधा खड़ा हुआ और मैंने उनके मुँह पर लंड रख दिया.
भाभी बोलीं- मैं मुँह में नहीं लेती. मैंने कहा- एक बार कोशिश तो करो.
वे लंड सूंघने लगीं. एक दो पल लंड सूंघने के बाद वे लंड को पकड़ कर अपने होंठों पर रगड़ने लगीं, पर मुँह नहीं खोल रही थीं.
मैंने उनके एक दूध को पकड़ कर दबाया तो भाभी ने सिसकारी भरते हुए अपना मुँह खोल दिया. तभी मैंने धीरे से उनके मुँह में लंड डाल दिया.
वे लंड मुँह में लेते ही उसे चूसने लगीं. इधर मैंने उनके एक दूध को मसलना शुरू कर दिया.
वे मस्त होकर लंड चूस रही थीं और एक हाथ से मेरे अंडकोश सहला रही थीं.
आज मुझको काफी दिनों बाद चुदाई का मौका मिल रहा था तो मैं अपने आपको रोक नहीं पाया. मैंने अपना पूरा लंड उनके मुँह में डाल दिया तो भाभी की आंखों में आंसू आ गए और उन्होंने छटपटा कर मुझे धक्का दे दिया.
मैंने कहा- क्या हुआ भाभी? वे बोलीं- पूरे हलक में पेल दिया था यार … सांस भी नहीं ले पा रही थी.
मैंने कहा- चलो, फिर से करता हूँ और इस बार आप अपने हाथ से जितना चाहो उतना अन्दर ले लेना. वे लंड को वापस चूसने लगीं.
मैं भी थोड़ी देर तक तो आराम आराम से लंड से भाभी के मुँह को चोदता रहा. फिर मैंने एक ही झटके में अपना लंड अन्दर तक पेल कर बाहर निकाल लिया.
वे एकदम से खाँसने लगीं.
अब मैंने मुँह चोदना छोड़ कर तुरंत उनके पैरों को खींचा और उनकी चूत पर अपना मुँह लगा दिया. मैं भाभी की चूत को चाटने लगा.
वे भी चूत चटवाने से पागल हो रही थीं.
कुछ देर बाद मैंने उनकी टांगों को पकड़कर अपके लौड़े के पास को खींचा और अपना लंड उनकी चूत पर लगाकर धक्का मार दिया. मैंने एक ही झटके में अपना पूरा लंड अन्दर डाल दिया.
वे एकदम से अकड़ गईं और आह्ह्ह् आह करने लगीं. मैंने धकापेल मचा दी.
मुझे भाभी की चूत बड़ी मस्त लग रही थी तो मैं बहुत तेज गति से चुदाई कर रहा था. मैंने बहुत दिनों से सेक्स नहीं किया था इसलिए मेरा लंड जल्दी ही झड़ गया.
हालांकि भाभी भी झड़ गई थीं.
चूत से लंड निकालने के बाद मैं खड़ा हुआ और वॉशरूम में जाकर अपना लंड साफ करके बाहर आ गया. मैंने भाभी से कहा- अब वापस मुँह में ले लो भाभी … लंड ढीला हो गया है.
उन्होंने लंड को मुँह में ले लिया और चूस चूस कर लंड को खड़ा कर दिया. जब लंड एकदम कड़क हो गया, तो मैंने उनकी टांगें फैलाईं और लंड पेल दिया.
इस बार भाभी की चूत ने बड़े अदब से मेरे लौड़े का स्वागत किया और मस्त चुदाई होने लगी. कुछ देर बाद मैंने भाभी को घोड़ी बनाया और उनको पीछे से चोदा.
कुछ देर बाद मैंने उनको वापस मिशनरी पोज में चोदा. लगभग आधा घंटा तक चुदाई के बाद जब मेरा लंड झड़ने को हुआ तो मैंने उनकी तरफ देखा.
वे समझ गईं कि मेरा लंड झड़ने वाला है, बोलीं- मेरा हो गया … आप आ जाओ.
मैं भाभी की चूत में ही झड़ गया और उनके बाजू में ही लेट गया. वे मेरे सीने पर सर रखकर लेटी रहीं और हम दोनों मुहब्बत की बातें करने लगे.
वह अपने घर ले जाने के लिए जो दूध लेकर आई थीं, उसको लेकर मुझसे बोलीं- चलो अब आप आज का दूध पी लो. यह सुनकर मेरे दिमाग में शैतानी सूझी, तो मैंने कहा- नहीं, मैं यह दूध नहीं पीता. मुझे तो सीधे थन से मुँह लगा कर दूध पीना है.
यह कह कर मैं भाभी के स्तनों को दबाने लगा और पीने लगा. वे भी मस्त होकर दूध चुखवाने लगीं.
चूचियां चुसवाते हुए ही भाभी का भी मौसम बन गया. वे भी मेरे लंड को सहलाने लगीं. लंड पुन: खड़ा हो गया.
उसके बाद मैंने हॉट सेक्सी भाभी की चूत की वापस चुदाई करना शुरू की. वे भी जी जान से लग गईं.
मुझे नहीं पता कि मैंने भाभी को कितनी देर तक चोदा होगा लेकिन तीसरे राउंड की चुदाई में हम दोनों पसीने में लथपथ हो गए थे. जबकि वह सर्दियों का समय था.
इससे आप लोग समझ सकते हैं कि कितनी देर तक चुदाई चली होगी.
चुदाई के बाद हम दोनों थक कर सो गए थे. सोकर उठने के बाद जब भाभी वापस जा रही थीं.
तो वे मेरे गले से लग गईं और बोलीं- मैं कल गांव जा रही हूं. अगर रहने के लिए मैं वापस न भी आऊं, तो भी तुमसे मिलने जरूर आऊंगी. मैंने कहा- ठीक है.
दोस्तो, आज की सेक्स कहानी यहीं तक की थी. यह हॉट सेक्सी भाभी की चूत की घटना एकदम सच है. आपको कैसी लगी, मुझे जरूर मेल करें. अगली बार फिर से किसी नई सेक्स कहानी के साथ मुलाकात होगी, तब तक के लिए महिला पाठकों को मेरे कड़े और खड़े लंड का नमस्कार. [email protected]