उन्मुक्त वासना की मस्ती- 5
ससुर सेक्स बहू कहानी में एक सेक्सी लड़की शादी के बाद ससुराल आई तो सुहागरात पर क्या क्या हुआ. और उसके बाद लड़की के ससुर ने अपनी नवविवाहिता बहू को कैसे पटाया?
कहानी के चौथे भाग होने वाले दामाद से चुद गयी सास में अब तक आपने पढ़ा कि शालू का विवाह रवि के साथ हो चुका है।
सुहागरात को शालू दुल्हन की परंपरागत पोशाक से हटकर सेक्सी नाइटी में बैठी बीयर पीती हुई रवि का इंतजार कर रही थी।
रवि ने भी फिर आमतौर पर मनाए जाने वाली सुहागरात से हटकर, शालू की आंखों पर पट्टी बांधकर सुहागरात को नए तरीके से मनाने के लिए शालू को कहा।
अब आगे हॉट दुल्हन सेक्स कहानी:
शालू इस पर आपत्ति करती हुई बोली- इसकी जरूरत क्या है? मैं चुदते समय तुम्हारे चेहरे पर आनन्द बरसते देखना चाहती हूं।
रवि ने जवाब दिया- बाद में कभी भी देख लेना, तुम मेरे लंड से आज पहली बार चुद रही हो, आखिरी बार नहीं! अच्छा चलो, तुम यह बताओ कि सुहागरात में क्या होता है? शालू ने जवाब दिया- दूल्हा दुल्हन की चूत में अपना लन्ड डालकर उसकी चुदाई करता है. और क्या?
रवि ने कहा- बिल्कुल सही! दुल्हन को पता होता है कि दुल्हा उसके कपड़े उतारेगा, अपने कपड़े उतारेगा, अपना लन्ड उसकी चूत में डालेगा और उसको चोदेगा, सब ऐसे ही करते हैं न? शालू ने कहा- हां, सब ऐसे ही सुहागरात मनाते हैं।
रवि ने कहा- इस सबके पहले दुल्हन शादी के लाल जोड़े में सुहाग सेज पर घूंघट करके बैठती है. या नहीं? शालू ने कहा- हां बैठती है … पर वे सब संकीर्ण दिमाग की होती हैं। अपने जैसी मॉडर्न और खुले दिमाग की नहीं होतीं। इसलिए मैंने सोचा कि बिना मतलब की औपचारिकता में समय क्यों खराब करें?
रवि ने जवाब दिया- तुमने बहुत अच्छा किया जो तुम नाइटी में बैठकर बीयर पी रही थी। बीयर ने तुम्हारे शरीर को सुरूर से भर दिया होगा। जिस के कारण तुम आज की चुदाई का अधिक आनन्द ले पाओगी। जिस तरीके से तुमने पारंपरिक सुहागरात के खिलाफ जाकर शुरुआत की, मैं भी उसी सिलसिले को आगे बढ़ाना चाहता हूं।
रवि ने कहा- मैं भी इसमें नयापन लाने के लिए यह कर रहा हूं। मैं तुम्हारी आंख पर पट्टी बांधूंगा और तुम यह कल्पना कर सकती हो कि तुम्हें मैं नहीं कोई और चोद रहा है। ऐसा करने से निश्चित रूप से तुम्हारा मजा और अधिक बढ़ जाएगा।
शालू हैरानी से देख रही थी कि रवि कितना रसिक और खुले दिल का है, उसे सुहागरात को यादगार बनाने के लिए अपनी बीवी द्वारा किसी और के लंड से चुदाई की कल्पना में भी कोई आपत्ति नहीं है।
रवि की बातों से शालू गर्म होने लगी, उसने सोचा कि मम्मी सही कह रही थी कि वह इच्छा होने पर नए नए लंड से चुदवा सकेगी. किंतु उसकी शुरुआत सुहागरात को नए लंड की कल्पना से होगी, ऐसा तो उसने सोचा भी नहीं था।
सही मायने में उसे शानदार और अनोखा पति मिला है जो सुहागरात को न केवल उसे नए लंड से चुदने के लिए उकसा रहा है. बल्कि बाद में हर सम्भव सहयोग करने के लिए भी तैयार है। वह आंख पर पट्टी बंधवाने को तैयार हो गई।
जब आंखों पर पट्टी बंध गई तो वह अब रवि के सक्रिय होने की प्रतीक्षा करने लगी. और जैसा कि रवि ने कहा था कि कल्पना करना कि कोई और चोद रहा है, यह सुन कर शालू को अपना प्रण याद आ गया. जब उसने यह सोचा था कि ‘रवि, तुमने मेरी मां चोदी है, मैं तुम्हारे बाप को चोदूंगी।’
रवि शालू की पैंटी उतार के उस की चूत के दर्शन कर चुका था, अब उसने उसकी नाइटी भी उतार दी। शालू को नंगी करके रवि ने उसे धकेल कर लिटा दिया, उसके सामने शालू की बिल्कुल चिकनी, जगमगाती और रसीली चूत और मदमस्त देह थी।
कुछ ही देर में शालू का पूरा बदन कंपन करने लगा क्योंकि नीचे से चट चट की आवाज आ रही थी और रवि दीवानों की तरह उसकी चूत के रस को कुत्ते की तरह चाट रहा था।
थोड़ी देर चूत चाटने का आनन्द लेने के बाद रवि ने पहले ही झटके में अपना शक्तिशाली लंड शालू की चूत की गहराई में पहुंचा दिया।
उसकी चुदी चुदाई चूत में लंड घुसने में तो कोई दिक्कत आनी भी नहीं थी किंतु रवि के लंड का आकार असामान्य था। जिसके कारण शालू को ऐसा लगा कि रवि का लंड जैसे उस की चूत को चौड़ा करते हुए, उसके गले तक पहुंच गया हो.
उसे उम्मीद नहीं थी कि रवि का लंड उसके भाई और बाप के लंड से भी अधिक लंबा एवं मोटा होगा।
उसकी चूत में अपना मूसल लंड घुसेड के रवि लंबी-लंबी सांस लेकर अपने आप पर नियंत्रण कर रहा था, जिससे वह लंबी रेस का घोड़ा सिद्ध हो, ना कि जल्दी लटकने वाला लौड़ा। शालू की चूत इतना शानदार लंड पाकर रगड़ों के लिए कुलबुलाने लग गई।
उसने रवि को कहा- यार, तूने मजा ला दिया, तेरे इस मोटे लंड का गृह प्रवेश तो अच्छा लगा. अब जरा अपना स्टेमिना भी तो दिखा!
रवि जोश से भर गया और करारे झटके शालू की चूत में लगाने लगा। हॉट दुल्हन शालू भी अपने पूरे अनुभव और कल्पना में सुधीर के लंड से चुदने के उत्साह में रवि के हर झटके का करारा जवाब देने लगी।
सुहागरात के समय तो दूल्हा हो या दुल्हन … दोनों के शरीर में रमी हुई वासना अपने पूरे चरम पर होती है क्योंकि बहुत पहले से ही दोनों चुदाई के लिए मानसिक रूप से तैयार रहते हैं बल्कि कहना चाहिए लालायित रहते हैं। दोनों के शरीर में वासना दहक रही होती है.
इसलिए रवि की चटखारे लेती जुबान से उत्तेजित और कल्पना में सुधीर के लंड से चुदने के उत्साह के कारण शालू की चूत को अधिक समय नहीं लगा और कुछ ही रगड़ों से उस की चूत में ऑर्गेज्म के कारण जैसे चकरी सी चलने लगी। उसने अपनी नस नस में नए लंड की सनसनी अनुभव की। शालू चरमसुख के आनन्दलोक में विचरण कर रही थी।
थोड़ी देर में शालू ने अपने ऊपर से पसीने में लथपथ रवि को एक साइड में धकेला और अपनी चूत पर नैपकिन लगा कर वह मीठी नींदों में खो चुकी थी।
सुबह 5:00 बजे शालू की नींद खुली. उसने देखा कि उसके बाजू में रवि नंगधड़ंग लेटा हुआ है और उसका लंड मॉर्निंग इरेक्शन (यानि प्रकृति द्वारा सुबह-सुबह मर्द को मर्दानगी का एहसास कराने के लिए उसका लंड तन्नाया हुआ रखने का वरदान) के कारण हिल हिल कर यह संकेत दे रहा है कि यदि अभी उसे चूत में लिया जाए तो मर्द और औरत दोनों को मजा आ सकता है।
शालू ने रवि का लंड मुंह में लेकर कुछ देर चूसा जिससे रवि के लंड का तनाव भी बढ़ गया और वह उसकी मुखलार से चिकना भी हो गया।
रवि गहरी नींद में शालू के मुख मैथुन का आनन्द ले रहा था. नींद में ही उसके मुंह से सिसकारियां निकल रही थी।
उसके बाद शालू उठी, वह रवि के लंड को एक हाथ से पकड़ कर दूसरे हाथ से अपनी चूत को चौड़ा करके उस पर बैठ गई। जैसे ही लंड शालू की चूत में घुसा रवि की नींद खुल गई, उसने देखा कि शालू उसके लंड पर ‘वूमन ऑन टॉप’ पोजीशन में बैठी है।
उसने खुश होकर शालू को अपने सीने पर लिटा लिया और उसे चूमने लगा. उसके बाद शालू फिर से सीधी बैठी तो रवि उसके बूब्स से खेलने लगा।
शालू ने उछल-उछल कर अपनी चूत से रवि के लंड को चोदना शुरू किया। रवि फिर दीवानों की तरह अपनी कमर उछाल-उछाल के चालू की चूत में लंड के रगड़े लगाने लगा।
रात को मीठी नींद लेने के पश्चात रवि और शालू सुबह-सुबह ऊर्जा से भरे हुए पूरे जोशोखरोश के साथ चुदाई का भरपूर मजा ले रहे थे।
शालू रात को तो, रवि के किसी अन्य मर्द से चुदने की कल्पना करने की कहने के कारण, ख्यालों में सुधीर से चुदी थी।
किंतु अभी उसकी आंखों पर पट्टी नहीं बंधी हुई थी इसलिए उसे रवि का चेहरा देखते हुए चुद कर यह अनुभव हो रहा था कि जैसे उसने रवि का लंड पहली बार अपनी चूत में लिया है।
यह सोचकर उसका आनन्द और भी अधिक बढ़ गया था। थोड़ी देर बाद रवि ने शालू को अपने नीचे ले लिया और ऊपर जाकर जबरदस्त रगड़े लगाने लगा।
शालू भी पूरे उत्साह के साथ उछल-उछल कर हर धक्के का जवाब दे रही थी. रवि को लगा कि उसकी सासू मां सही कह रही थी, शालू किसी भी तरह अपनी मां से कम नहीं है।
उसकी आधा घंटे की घमासान चुदाई के बाद दोनों ने चरम सुख का आनन्द लिया। स्खलन के पश्चात दोनों एक दूसरे से लिपटे चिपटे बहुत देर तक इस सुखानुभूति का आनन्द लेते रहे।
एक मीठी झपकी लेने के बाद में जब दोनों उठे तो साथ में नहाने का मजा भी लिया। एक दूसरे के नंगे बदन पर साबुन लगाकर गुदगुदे शरीर को बांहों में भरने का जो सुख है उसकी विवेचना करना कठिन है।
कुछ दिन ऐसे ही सामान्य तौर पर व्यतीत हो गए जिस घर में रवि सुधीर और शालू जैसे कामुक लोग रहते हों, वहां कब तक जीवन सामान्य चलता कुछ ना कुछ तो असामान्य घटित होना ही था।
कुदरत ने औरत चीज ही ऐसी बनाई है कि एक साधारण औरत भी अपने हावभाव और अदाओं से किसी भी मर्द को पागल बना सकती है।
उस पर एक कामांध औरत जिसके पोर पोर में काम वासना उफन रही हो, वह किसी भी चुदाई के शौकीन मर्द को कुछ ही पलों में इतना कामुक कर देती है कि उस मर्द को सिवाय उस औरत की चूत और छातियों के कुछ और दिखना बंद हो जाता है। उस मर्द का एकमात्र लक्ष्य हो जाता है उस औरत को जल्दी से जल्दी अपने नीचे लाकर चोदना. जब तक मर्द को उस औरत की नई चूत नहीं मिलती, तब तक उसका दिमाग बेचैन रहता है।
ऐसा ही हाल शालू के कारण सुधीर का हो रहा था। जिस के कारण वह शालू को चोदने के ख्वाब देखता रहता था. और यही कारण था कि शालू को हर समय ऐसा लगता था कि दो आंखें हमेशा उसका पीछा किया करती हैं।
कई बार उसने सुधीर को उसके बूब्स पर नजरें गड़ाए पकड़ा तो कई बार कनखियों से देखकर यह महसूस किया कि वह पीछे से उसके मटकते हुए चूतड़ों को घूरता रहता है।
उसको बुरा इसलिए नहीं लगता था क्योंकि वह कोई संस्कारी बहू तो थी नहीं, उसने तो रवि से हिसाब बराबर करने के लिए खुद सुधीर से चुदाने का प्रण लिया हुआ था।
असहज लगने के स्थान पर सुधीर की लार टपकाती नजरों और हरकतों के कारण उसके मन में अजीब सी गुदगुदी होने लगती थी। उसकी सुधीर से जब भी अखियां मिलतीं, वह मुस्कुरा कर सुधीर के साहस को बनाए रखती थी।
यदि मन के किसी कोने में में कभी ससुर से चुदवाना अनुचित होने संबंधी, कोई प्रश्न उठता तो वह यह सोचती कि जब मैं अपने बाप-भाई से चुदवा चुकी हूं तो रवि के बाप से चुदवाने में क्या परेशानी है?
उसको करना सिर्फ इतना था कि ऐसी परिस्थितियां निर्मित हों जिसमें उसको पहल नहीं करनी पड़े अपितु रवि का बाप उसको चोदने के लिए बेकरार हो जाए। और सुधीर कभी अवसर पाकर दुस्साहस कर उसे चोद भी डाले और सोनिया अथवा रवि को पता भी नहीं चले। शालू ऐसे संयोग की प्रतीक्षा में थी।
शीघ्र ही ऐसा समय आया. रवि बिजनेस टूर पर शहर से बाहर गया हुआ था।
सुधीर स्वयं भी अवसर की प्रतीक्षा में तो था ही, सपना को चोदने के बाद, उसकी बेटी यानि अपनी बहू शालू की चूत ने उस के लंड की नींद उड़ा रखी थी।
उसे विश्वास था कि यदि शालू सपना की बेटी है तो सपना की वासना की विरासत उस तक अवश्य पहुंची होगी और वह उस के लंड को अपनी चूत में घुसने का सुनहरा अवसर अवश्य देगी।
शाम का समय था, सुधीर ने कुछ सोचकर ड्रिंक करने का निश्चय लिया और टेबल पर दो गिलास रखकर बैठ गया। उसने शालू को आवाज़ लगाई- शालू बेटा … शालू बेटा!
शालू सुधीर के पास पहुंची- जी पापा बोलिए, क्या बात है? सुधीर ने कहा- यार थोड़ा कुछ नमकीन ले आओ ना … अकेला बैठा बोर हो रहा हूं, ड्रिंक करने की इच्छा हो रही है।
शालू ने पूछा- क्यों मम्मी कहां गई है? सुधीर ने जवाब दिया- सहेलियों के साथ गई है, देर तक आएगी।
शालू जाकर दो प्लेटों में कुछ नमकीन और वैफर्स लेकर आ गई। वह टेबल पर दोनों प्लेट रखकर जाने लगी.
सुधीर ने उसे रोका, बोला- शालू यार, अकेला बैठा हूं, मेरे पास बैठो न, बातचीत करते हैं, रवि भी तो घर पर नहीं है, दोनों का मन लगा रहेगा। सुधीर के आग्रह पर शालू बैठ गई, वह समझ गई कि आज उसकी इच्छा पूरी होने वाली है।
तभी सुधीर ने दो पैग बनाए एक गिलास उठाकर शालू को दिया- लो शालू! उसने मना किया- नहीं पापा, मैं नहीं पीती।
सुधीर ने कहा- तुम नहीं पीती या मेरे साथ पीने में संकोच कर रही हो? शालू बोली- मैं दोस्तों के साथ कभी-कभी थोड़ी ले लेती हूं।
सुधीर ने कहा- मुझको भी अपना दोस्त मानो यार और ‘कभी-कभी’ ले लेती हो तो मानो वही ‘कभी’ आज है।
शालू के मन में तो हलचल सी होने लगी। वह सब समझ रही थी कि सुधीर क्या चाह रहा है और वह तो खुद सुधीर से चुदने के लिए बेकरार थी।
उसकी इच्छा बिना किसी प्रयास के पूरी होने जा रही थी।
उसने दो घूंट भरे, ठंडी शराब की गर्मी सीधे उसकी चूत तक पहुंच गई।
सुधीर ने उसे बातों में लपेटना चाहा। वह कहने लगा- शालू, आज से … बल्कि अभी से तुम मुझे अपना दोस्त समझो! सिर्फ दोस्त और जो कुछ भी तुम्हारी इच्छाएं हैं, बेहिचक मुझसे कह सकती हो।
जब शालू के दो छोटे और सुधीर के दो बड़े पेग हो गए तो सुधीर ने कहा- यार, घर में ऐसी चलने के उपरांत भी बहुत गर्मी लग रही है! इस पर शालू ने उसे उकसाया और बोली- चलो ना पापा, लॉन्ग ड्राइव पर चलते हैं।
सुधीर मन ही मन एकदम प्रसन्न हो गया। उसके लंड ने एक छोटी सी अंगड़ाई ली, उसको ऐसा लगा जैसे उसका कामबाण निशाने पर लग चुका है।
दोनों घर से बाहर आए और कार में बैठे. वे दोनों शराब के सुरूर में थे और उससे भी अधिक नशा दोनों के दिमाग पर कामवासना का चढ़ा हुआ था।
अंतर सिर्फ यह था कि शालू इस बात को जानती थी और सुधीर अभी यह समझ रहा था कि उसने जाल बिछा दिया है, देखें मछली फंसती है या नहीं।
कार सड़क पर दौड़ती हुई शहर के बाहर आ पहुंची.
अब कार में तो एकांत था ही, कार के बाहर भी सुनसान था! ऐसे में सुधीर का दिल जोर-जोर से धड़क रहा था।
उसने शालू से पूछा- कैसी चल रही है तुम्हारी मैरिड लाइफ? शालू ने कुछ देर ठहर कर जवाब दिया- मस्त चल रही है। रवि बहुत खुले दिल दिमाग के हस्बैंड हैं।
इस पर सुधीर ने शरारत से पूछा- और तुम? शालू ने सुधीर के शरारत भरे प्रश्न पर मुस्कुराते हुए उकसाने वाला जवाब दिया- मैं भी बहुत खुले दिल और दिमाग की हूं. मेरे जीवन का तो एक ही फलसफा है, जीवन का भरपूर आनन्द लेना चाहिए। यह कह कर शालू ने सुधीर की ओर देखा.
वासना के कारण सुधीर की आंखों में लाल डोरे खिंच आए थे। सुधीर का थोड़ा हौसला बढ़ा, उसने कहा- आज से तो हम दोनों दोस्त बन गए हैं तो अब हमारे बीच में रिश्तों की मर्यादा को लेकर कोई दुविधा भी अब नहीं रहनी चाहिए।
शालू एक-एक शब्द को ध्यान से सुन रही थी, वह समझ रही थी कि बस अब यह मेरी चुदाई के असली मुद्दे पर आने ही वाला है।
उसने कहा- बिल्कुल सही बात है पापा! सुधीर ने टोका- पापा नहीं … अब तो हम दोनों दोस्त हैं। तुम मुझे सुधीर कह के ही पुकारो! शालू ने कहा- मैं आपको सुधीर कैसे पुकार सकती हूं, आप इतने बड़े जो हैं।
इस पर सुधीर ने कहा- अच्छा, तुम सुधीर जी तो बुला सकती हो. और आपके स्थान पर यदि तुम कह कर बोलोगी तो मुझे अच्छा लगेगा। तो शालू ने सहमति में सिर हिलाया।
सुधीर ने फिर थोड़ा सा आगे बढ़ते हुए अपना हाथ बढ़ाया और बोला- प्रॉमिस? शालू ने भी सोचा कि अब ज्यादा मामले को झुलाने का कोई मतलब नहीं है, उसने सुधीर के हाथ पर हाथ रखा और आंख मारते हुए कहा- प्रॉमिस, माय डियर सुधीर … जी!
सुधीर ने कहा- मैं बहुत खुश हूं शालू, आज अपनी दोस्ती प्रारंभ हुई है, इसको स्मरणीय बनाने के लिए दो कदम तुम आगे बढ़ो, दो कदम मैं बढ़ाता हूं।
शालू ने यह सुनते ही कहा- कार रोको!
मेरे रसिक एवं कामुक पाठको, मुझे यकीन है कि मेरी यह हॉट दुल्हन सेक्स कहानी आपके शरीर को पर्याप्त उत्तेजना और दिमाग को भरपूर मस्ती से भर रही होगी। कहानी पर अपनी प्रतिक्रिया एवं अमूल्य सुझाव मुझे निम्न आईडी पर प्रेषित करें। [email protected]
हॉट दुल्हन सेक्स कहानी का अगला भाग: उन्मुक्त वासना की मस्ती- 6