मौसेरी बहन की जवानी का मजा लिया- 1
कजिन सिस Xx कहानी में मेरी अपनी मौसी की बेटी से पक्की दोस्ती थी. मैंने उसे देखकर सेक्स की सोचता था. एक बार हम दोनों को अकेले घर में रहने का मौक़ा मिला.
मित्रो, मैं आपका दोस्त रोहित! एक बार फिर से मैं अपनी नई सेक्स कहानी के साथ आपके सामने हाजिर हूँ. आप सबने मेरी पिछली कहानियों चलती बस में कमसिन लौंडिया की गांड मारी को बहुत पसंद किया, इसके लिए मैं आप सबका शुक्रगुजार हूँ. उम्मीद करता हूँ कि मेरी पिछली कहानियों की तरह यह सेक्स कहानी भी आपको पसंद आएगी.
एक बार फिर से सब दीदियों और भाभियों को मेरा खड़े लंड से प्रणाम.
यह कजिन सिस Xx कहानी तब की है जब मैं किशोरावस्था का था.
इस उम्र में लड़कों को अपने लंड में मीठी मीठी खुजली होती है और उन्हें अपने हाथ से अपना लंड सहलाने में बहुत मजा आता है. ऐसा ही लड़कियों के साथ भी होता है. उन्हें भी अपनी चूत को सहलाने में बहुत मजा आता है.
इस उम्र में हर लड़का चाहता है कि उसे कोई भी चूत मिल जाए, चाहे वह किसी की भी हो. ठीक ऐसा ही लड़कियों के साथ भी होता है. वह भी लंड के लिए प्यासी होती हैं.
आज की मेरी इस सेक्स कहानी की नायिका मेरी पायल दीदी हैं.
पायल दीदी मेरी मौसी की बेटी हैं. मैं रोहतक शहर में रहता था और मेरी मौसी भी उसी शहर में रहती थीं. उनका घर हमारे घर से थोड़ी ही दूरी पर था.
मैं उनके परिवार के बारे में फिर से थोड़ा सा बता देता हूँ. मेरी मौसी के तीन बेटे और दो बेटियां हैं. मौसा जी का देहांत हो चुका था.
पायल दीदी सबसे छोटी थीं. वे मुझसे तीन साल बड़ी थीं. पायल दीदी से बड़ी थीं स्नेहा दीदी. स्नेहा दीदी बहुत खूबसूरत थीं. तीनों भैया उनसे भी बड़े थे.
मैं बचपन से ही पायल दीदी के साथ खेल-कूद कर बड़ा हुआ हूँ. यहां तक कि मैं और पायल दीदी नहाते भी साथ में थे.
मैं हर रोज़ स्कूल ख़त्म होने के बाद मौसी के घर पर जाता था. उधर मैं और पायल दीदी एक दूसरे के साथ खेलते रहते थे.
जब भी मैं दीदी के साथ नहाता था, दीदी मुझे अपनी गोदी में बिठा लेतीं और मग से दोनों के ऊपर पानी डालती थीं.
मैं बड़ा हुआ तो जैसा कि मैंने आपको बताया कि मेरे लंड में मीठी मीठी खुजली होने लगी. उस वक़्त पायल दीदी की उम्र पूर्ण जवान युवती की हो चुकी थी.
इधर मैं आपको पायल दीदी के उस वक्त के यौवन व उनके शारीरिक गठन के बारे में थोड़ा सा बता देता हूँ.
पायल दीदी कद में मुझसे थोड़ी सी लंबी थीं. उनका फिगर बहुत सेक्सी था. उनके बूब्स छोटे-छोटे थे बिल्कुल संतरे के साइज़ के!
जब वे चलती थीं तो लगता था कि दो संतरे हिल रहे हैं. पायल दीदी के नितंब (हिप्स) गोल-गोल और बहुत सेक्सी थे … एकदम खरबूजे की तरह.
जब वे मटक मटक कर चलती थीं तो इतनी सेक्सी लगती थीं कि किसी बुड्ढे का लंड भी खड़ा जो जाए. दीदी का रंग एकदम गोरा था, बाल काले और बड़ी बड़ी काली आंखें, गोरे गोरे गाल और एकदम गुलाबी होंठ.
मुझे पायल दीदी बहुत अच्छी लगती थीं. मैं जब भी उनको देखता था तो मेरा मन करता था कि पायल दीदी से लिपट जाऊं और उनके चूचे पकड़ लूँ, उनके चूचों को मसल दूं और उनके चूतड़ों को अपनी मुट्ठी में भींच लूँ.
यह सोचते सोचते ही मेरा लंड खड़ा हो जाता था. वे मेरी ‘कामदेवी’ या आप कहें कि सेक्स गॉडेस थीं. मैं दिन रात पायल दीदी के बारे में सोचता रहता था.
वे जब भी किचन में काम कर रही होती थीं तो मैं जानबूझ के पायल दीदी की मदद करने के बहाने किचन में चला जाता था और घर के कामों में उनकी मदद करता था. इसी बहाने मुझे दीदी को छूने का मौका मिल जाता था.
दीदी कभी बुरा भी नहीं मानती थीं क्योंकि हम दोनों तो बचपन से ही साथ में खेले कूदे थे … और वे मुझसे बड़ी भी थीं. मैं कभी कभी बात करते करते दीदी के चूतड़ों को छू लेता था तो कभी कभी दीदी के किसी दूध को मसल देता था. मुझे उनको छूने में बहुत मजा आता था.
कभी-कभी काम करते करते मैं दीदी के दोनों मम्मों को हाथ लगा देता था तो मुझे एकदम से करेंट का झटका सा लगता था और मेरा लंड टनटना जाता था. उस वक़्त मुझे बस एक ही दिल करता था कि अभी दीदी के कपड़े उतार कर उनका दूध पी जाऊं.
दीदी ने भी मेरी निक्कर में बने हुए टेंट को कई बार देखा. लेकिन वे मुझे अबोध समझती थीं इसलिए उन्होंने कभी कुछ नहीं कहा. पर वे मेरे निक्कर में बने हुए टेंट को नज़र बचा कर जरूर देखती थीं.
दीदी की भी तो उम्र जवानी की थी इसलिए दीदी का भी तो लंड खाने का मन करता होगा! मेरा जी चाहता कि दीदी एक बार चोदने को मिल जाएं … तो मजा आ जाए. लेकिन वे कैसे मिल जाएं, यही समझ में नहीं आता था.
फिर एक दिन भगवान ने मेरी सुन ली.
मेरी मौसी और उनके पूरे परिवार को एक हफ्ते के लिए कहीं जाना पड़ा. वे तो पायल दीदी को भी साथ में लेकर जाना चाहते थे लेकिन क्योंकि दीदी के एग्जाम नजदीक थे इसलिए दीदी ने खुद ही कहीं भी जाने से मना कर दिया.
अब सवाल यह था कि दीदी अकेली रहेंगी कैसे! बहुत सोचने के बाद मेरी मौसी ने मेरी मम्मी से कहा कि रोहित को कुछ दिनों के लिए पायल के पास रहना पड़ेगा.
यह सुनते ही मैं तो बहुत खुश हो गया मुझे लगा भगवान ने मेरी सुन ली है.
मम्मी ने मुझसे पूछा कि तू दीदी के साथ रहेगा एक हफ्ते के लिए? तो मैंने कहा- हां, रह लूँगा.
इस बात से मेरी मौसी भी काफ़ी खुश हो गईं कि चलो अब रोहित पायल के साथ रहेगा.
अगले ही दिन वे सब चले गए. मैं भी अगले दिन स्कूल से सीधा पायल दीदी के पास आ गया.
पायल दीदी ने मेरे लिए और अपने लिए खाना बनाया था. हम दोनों ने खाना खाया और मैंने दीदी की किचन के काम में मदद की.
शाम को हम लोग टीवी देखने लगे. मैं और पायल दीदी एक ही सोफे पर बैठ कर फिल्म देख रहे थे.
दीदी मेरे साथ एकदम चिपक कर बैठी हुई थीं.
पायल दीदी ने उस वक़्त स्कर्ट और एक टी-शर्ट पहनी हुई थी. वह स्कर्ट दीदी के घुटनों से भी ऊपर तक थी जिसमें से दीदी की गोरी गोरी जांघें साफ दिख रही थीं.
दीदी की गोरी गोरी जांघों का स्पर्श अपनी टांगों पर पाते ही मेरा लंड एकदम तना गया और मेरा बुरा हाल होने लगा.
मुझे डर था कि कहीं दीदी मेरे टेंट को देख ना लें … और वही हुआ.
अचानक से दीदी की नज़र मेरे निक्कर में बने टेंट पर गई और वे मुझे देखने लगीं. मैंने भी यह बात नोटिस कर ली.
दीदी ने दोबारा से अपना ध्यान टीवी स्क्रीन पर लगा लिया लेकिन वे बार बार मेरे टेंट को ही देख रही थीं.
थोड़ी देर बाद मूवी में एक सेक्स सीन आ गया, जिसमें हीरो हीरोइन को अपनी बांहों में भरकर लिप-किस कर रहा था और उसके दोनों हाथ हीरोइन के बूब्स पर थे.
हीरोइन की आंखें बंद थीं, वह मीठी मीठी सिसकारियां ले रही थी. यह सीन देखकर मेरा और भी बुरा हाल हो गया और मैं उठ कर जाने लगा.
तो दीदी ने कहा- रोहित कहां जा रहे हो, क्या हुआ? मैंने कहा- दीदी मैं किचन में पानी पीने जा रहा हूँ!
दीदी ने कहा- क्यों, क्या हुआ तुझे? तू बैठ … मैं लेकर आती हूँ.
वे मेरी निक्कर को देखती हुई किचन में गईं. जैसे ही दीदी किचन में गईं … मैंने अपने निक्कर में हाथ डालकर अपने लंड को सहलाना शुरू कर दिया, जिससे वह और भी कड़क हो गया.
थोड़ी देर में दीदी मेरे लिए और अपने लिए पानी लेकर आ गईं. मैंने कहा- दीदी यह चैनल चेंज करें क्या? दीदी ने कहा- क्यों, मुझे तो यह मूवी बहुत अच्छी लग रही है!
मैं चुप हो गया और मूवी देखने लगा.
थोड़ी देर के बाद हीरो ने हीरोइन को अपनी बांहों में कसके भर लिया और वह उसके पीछे से आकर जबरदस्त धक्के लगाने लगा. हीरोइन की सिसकारियों की आवाज़ बढ़ गयी.
फिर अचानक से हीरोइन ने पलट कर हीरो को अपनी बांहों में भर लिया और उसने उसे बिस्तर पर गिरा दिया. हीरो के बिस्तर पर गिरते ही वह उसके ऊपर चढ़ कर बैठ गई.
मेरा बहुत बुरा हाल हो रहा था और दीदी उस सीन को बड़े ध्यान से देख रही थीं. वे उस सीन को बहुत एंजाय कर रही थीं.
फिर हीरो ने हीरोइन के कपड़े एक-एक करके उतार दिए. अब हीरोइन सिर्फ़ ब्रा और पैंटी में ही थी. उसके बाद हीरो ने जबरदस्त चुदाई कर दी. यह सीन साफ नहीं दिखाया गया लेकिन उन दोनों को चादर के अन्दर चुदाई करते हुए दिखाया गया था.
इस तरह से मूवी थोड़ी देर में ख़त्म हो गई.
मूवी देखते-देखते हुए रात के 9:00 बज गए थे. अब दीदी ने कहा- अच्छा, अब मैं खाना बना लेती हूँ … फिर हम खाना खाकर सो जाएंगे.
दीदी ने खाना बनाया, हम दोनों ने चुपचाप खाना खाया.
खाना खाने के बाद मैंने झूठे बर्तन किचन में रखवाने में दीदी की मदद की. मैं और दीदी एकदम पास-पास खड़े हो कर काम कर रहे थे.
कभी दीदी का हाथ मेरे लंड पर टच हो जाता और कभी दीदी का हाथ मेरे चूतड़ों के आस-पास टच हो जाता. यह सब मुझे बहुत अच्छा लग रहा था.
मैंने भी बात करते-करते हुए दीदी को छूना शुरू कर दिया. मेरा लंड मेरी निक्कर को फाड़ कर बाहर आने को तैयार था.
तभी दीदी ने कहा- अच्छा तू जा, मैं बाकी का काम निपटा लूँगी. मैंने कहा- नहीं दीदी, मैं आपके साथ यहीं खड़ा रहूँगा.
दीदी सिंक में बर्तन धोने लगीं. मैं दीदी के पीछे खड़ा हो गया और दीदी से इधर-उधर की बातें करने लगा.
बात करते करते मैं दीदी के ठीक पीछे खड़ा हो गया. मेरा लंड दीदी के चूतड़ों से हल्का टच हो गया और मुझे करेंट का झटका लगा.
दीदी ने भी मेरे लंड को अपनी चूतड़ों के बीच में महसूस किया तो वे भी थोड़ा सा आगे को हो गईं … लेकिन उन्होंने कुछ नहीं कहा, बस वे अपना काम करती रहीं.
काम खत्म होने के बाद हम दोनों कमरे में आ गए.
दीदी ने कहा- चलो सो जाते हैं, कल तुझे भी स्कूल जाना है और मुझे भी. मैंने कहा- ठीक है दीदी!
दोस्तो, उस वक़्त हम लोग घर के मेन गेट के सामने वाली गली में ही सोते थे. उधर और भी बहुत सारे लोग अपने गेट के बाहर चारपाई बिछा कर सोते थे.
दीदी एक चारपाई, एक तकिया और दो चादर लेकर आ गईं.
मैंने कहा- दीदी मैं कहां सोऊंगा? दीदी बोलीं- अपन दोनों साथ में सोएंगे, मैं अलग-अलग चारपाई नहीं लगाऊंगी.
यह सुनते ही मैं तो खुशी के मारे झूम उठा; मेरे लंड ने जोर का झटका खाया.
दीदी ने चारपाई पर एक चादर बिछाई और एक चादर ऊपर ओढ़ने के लिए रख ली. हमारे पास एक ही तकिया था.
दीदी और मैं चारपाई पर लेट गए.
गली में और भी बहुत सारे लोग थे.
दीदी और मैं थोड़ी देर बातें करते रहे. बात करते-करते हुए दीदी की टांगें मेरी टांगों से टच हो रही थीं. मेरा बहुत बुरा हाल था, निक्कर के अन्दर मेरा लंड झटके पर झटके मार रहा था.
मैंने बात करते-करते अपनी एक टांग दीदी के ऊपर रख दी जिससे मेरा लंड दीदी की चूत के पास आ गया. दीदी ने कुछ नहीं कहा.
फिर मैंने अपना एक हाथ दीदी की कमर पर रख दिया. तो मैंने महसूस किया कि दीदी के बदन में एक सिहरन सी हुई और उनकी सांसें भारी हो गईं. तेज सांसों के कारण उनके दूध ऊपर नीचे होने लगे.
कुछ देर बाद दीदी मेरी तरफ पीठ करके सो गईं, मैं चुपचाप लेटा रहा.
थोड़ी देर बाद मैंने आवाज दी- दीदी! दीदी ने कुछ जवाब नहीं दिया.
मैंने एक बार फिर से कहा- दीदी! दीदी ने फिर से कुछ जवाब नहीं दिया.
अब मैं समझ गया कि दीदी सो गई हैं. मैं थोड़ा सा आगे हुआ और दीदी के साथ चिपक गया. मैं देखना चाहता था कि दीदी कुछ रिएक्ट करती हैं या नहीं!
दीदी की तरफ से कोई रिएक्शन ना देख कर मेरी हिम्मत और बढ़ गई.
मैंने अपना खड़ा लंड दीदी के दोनों चूतड़ों के बीच में ऐसे सैट कर दिया जैसे दो खरबूजों के बीच में एक केला रख दिया हो!
मुझे डर भी लग रहा था और मजा भी आ रहा था. मेरे लंड की खुजली बढ़ती जा रही थी और लग रहा था मानो अभी फट जाएगा.
मैंने अपना एक हाथ दीदी की कमर पर रखा और कमर को सहलाने लगा. साथ ही मैंने अपने लंड का दबाव दीदी के दोनों चूतड़ों के ऊपर बढ़ा दिया. दीदी को कपड़ों के ऊपर से सहलाने में इतना मजा आ रहा था कि मैं बता नहीं सकता.
मैंने अपना एक हाथ दीदी के दूध के ऊपर रख दिया और इंतजार करने लगा कि दीदी की तरफ से कोई रिएक्शन आता है या नहीं. लेकिन दीदी शायद गहरी नींद में थीं.
यह देखकर मैंने दीदी के दूध के ऊपर अपनी हथेली का दबाव बढ़ा दिया और सहलाने लगा. ओह माय गॉड … दीदी के दूध कितने नर्म नर्म थे … ऐसा लग रहा था जैसे रबर के गुब्बारे हों.
मैंने थोड़ा-थोड़ा सा दीदी के दूध को दबाना शुरू कर दिया और धक्के लगाना शुरू कर दिया.
अब मेरी बेचैनी बढ़ती जा रही थी … मैं अपने आप को कंट्रोल नहीं कर पा रहा था.
दीदी के चूचुक टाइट हो गए थे. मैंने निप्पल को अपने अंगूठे और एक उंगली के बीच में पकड़ लिया और हल्के-हल्के से मींजने लगा.
मैंने महसूस किया कि दीदी का सीना जोर-जोर से हिलने लगा, उसकी सांसें तेज-तेज चलने लगीं.
तभी मैंने दीदी के टॉप को थोड़ा सा ऊपर उठाया और उनके पेट पर हाथ रख दिया. उनका बदन एकदम मखमल जैसा था, नर्म-नर्म, चिकना-चिकना.
कुछ देर पेट को सहलाने के बाद मैंने अपना हाथ शर्ट के अन्दर से ही ऊपर ले जाना शुरू किया. मेरा हाथ उनकी ब्रा तक पहुंच गया और मैं ब्रा के ऊपर से ही दीदी के दोनों मम्मों को बारी बारी से अपनी मुट्ठी में भरकर भींचने लगा.
अब दीदी के मुँह से मीठी सिसकारी निकल गई. मैंने डर कर अपना हाथ बाहर खींच लिया.
लेकिन मेरा अपने ऊपर से कंट्रोल ख़त्म हो रहा था.
थोड़ी देर तक दीदी की तरफ से कोई हरकत ना देख कर मैंने फिर से अपना हाथ दीदी के चूतड़ों के ऊपर रख दिया और अपने हाथों को गोल गोल घुमाने लगा. आआ हह्ह्ह … दीदी के चूतड़ों को सहलाने में, कजिन सिस Xx करने में इतना मजा आ रहा था कि मैं उसे शब्दों में नहीं बता सकता.
मैंने थोड़ी सी कोशिश करके अपना दूसरा हाथ दीदी की कमर के नीचे डालना चाहा ताकि मैं दूसरा मम्मा भी पकड़ सकूँ. लेकिन क्योंकि दीदी गहरी नींद में थीं इसलिए मैं अपना हाथ नहीं डाल पा रहा था.
तभी मुझे लगा कि दीदी थोड़ा सा ऊपर उठीं और मेरा हाथ उनकी कमर के नीचे चला गया.
अब मैंने कमर के नीचे से हाथ डाल दिया और दीदी का दूसरा दूध पकड़ लिया. दूध हाथ में आते ही मैं जोर जोर से दबाने लगा और दूसरे हाथ से मैं दीदी के चूतड़ों को सहलाने लगा.
मेरा बहुत बुरा हाल था, दिल कर रहा था कि अभी दीदी के सारे कपड़े उतार दूँ. लेकिन हिम्मत नहीं पड़ रही थी.
दोस्तो, मैंने अपनी दीदी की सोते हुए में किस तरह से चुदाई की और उन्होंने मुझे किस तरह से सहयोग किया, यह सब वास्तव में बहुत ही लाजबाव वाकिया था. आपके साथ इस कजिन सिस Xx कहानी को अगले भाग में जारी रखूँगा. प्लीज आप कमेंट्स जरूर करें. [email protected]
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