कहानियाँ / गे सेक्स स्टोरी

कमसिन उम्र में गांड चुदाई का पहला अनुभव

समीर हर्ष कुमार
कमसिन उम्र में गांड चुदाई का पहला अनुभव
@समीर हर्ष कुमार
10 min

बड़े भाई की गांड मारी मैंने … वो मेरे तू का बेटा है, उसने खुद से सेक्स की बात शुरू की और मेरे लंड को हाथ में ले लिया और आगे पीछे करने लगा.

दोस्तो, मेरा नाम समीर (बदला हुआ नाम) है. मैं एक छोटे से शहर का रहने वाला हूँ और मैं पेशे से एक डॉक्टर हूँ.

मैंने अन्तर्वासना की ढेरों कहानियां पढ़ी हैं और मैं अन्तर्वासना का बहुत बड़ा फैन हूँ.

भाई की गांड मारने की बात उस समय कि है जब मैं टीन एजर था. मैं उस समय स्कूल में पढ़ रहा था.

मैंने आगे की पढ़ाई के लिए टेस्ट दिया और मेरा एक अच्छे स्कूल में दाखिला होने के लिए रास्ता साफ़ हो गया था. मगर मेरे ताऊ के बेटों का किसी अच्छे स्कूल में नंबर नहीं आया था.

हमारे परिवार के बड़े चाहते थे कि हम सब लोग साथ ही पढ़ाई करें. मजबूरी में मुझे उसी स्कूल में एडमिशन लेना पड़ा, जिसमें वो पढ़ाई कर रहे थे.

मगर अब परेशानी ये थी कि रहा कहां जाए … क्योंकि ताऊ जी का घर भी स्कूल से 30 किलोमीटर दूर था और स्कूल शहर में था. ताऊ के बच्चे भी अप डाउन करते थे.

फिर तय हुआ कि जब तक शहर में रहने का बंदोबस्त नहीं हो जाता, तब तक गांव से ही स्कूल जाया जाए.

ताऊ जी की आर्थिक हालत अच्छी नहीं थी. ताऊ जी एक छोटी सी दुकान चलाते थे. स्कूल से आने के बाद ताऊ जी के बेटे दुकान में बैठा करते थे.

मेरा एडमिशन हुआ और मैं ताऊ जी के बेटों के साथ गांव से ही स्कूल जाने लगा. ताऊ जी का दूसरा बेटा मेरी ही उम्र का था. इसलिए हम दोनों हर प्रकार की बातें कर लिया करते थे.

एक दिन स्कूल से आने के बाद हम दोनों दुकान पर बैठे सेक्स की बातें कर रहे थे. उस दिन बड़े भैया कहीं गए हुए थे.

बारिश का मौसम था और वो बोल रहे थे कि अगर किसी को मोटा होना है तो वो अपनी गांड मरवाए, तो वो जल्दी मोटा हो सकता है. लंड कैसे मोटा करते हैं, मुठ कैसे मारते हैं, यही सब बकचोदी चल रही थी.

हम दोनों बातें कर ही रहे थे कि बारिश होने लगी. बारिश दुकान के शटर की ओर को हो रही थी जिससे पानी अन्दर आने लगा था. मजबूरी में शटर गिराना पड़ा.

हम दोनों ने सोचा कि जब तक बारिश नहीं रूकती, तब तक शटर बंद ही रहने देते हैं. शटर बंद करके हम लोग फिर से गन्दी बातें करने लगे.

मैंने मज़ाक मज़ाक में पूछा- आप भी तो बहुत पतले दुबले हो, आप क्यों नहीं किसी का ले लेते? तो कहने लगे- यार दिल तो करता है कि किसी का लंड अपनी गांड में ले लूँ, मगर डर लगता है कि अगर किसी को पता चल गया तो पूरे गांव में बदनाम हो जाऊंगा. दूसरा ये कि कोई भरोसे का आदमी हो, तो किसी को पता भी नहीं चलेगा. मगर अब भरोसे का आदमी कहां से लाऊं.

ये बात सुन कर मेरा लंड खड़ा हो गया जिसे उन्होंने देख लिया.

वो बोले- तूने किसी की गांड मारी है या मरवाई है? मैंने कहा- अरे भैया, ऐसे कौन किसी को अपनी गांड मारने दे देता है?

वो बोले- क्यों … ऐसे तो बहुत मीठे मिल जाएंगे. मैंने मीठे शब्द को सुना तो उनसे पूछा- मीठे मिल जाएंगे, इसका क्या मतलब हुआ भैया?

भैया हंसने लगे और बोले- मतलब तूने सच में किसी के साथ गे सम्बन्ध नहीं बनाए. अरे यार जो लड़के लड़कों के साथ सेक्स करते हैं, वो मीठे कहलाते हैं. मैंने हंस कर कहा- अच्छा उन्हें मीठा कहते हैं. मेरे दोस्तों में तो हम लोग उन्हें झलक कहते हैं.

वो आंखें फैला कर बोले- ये तो मुझे भी नहीं मालूम था कि उन्हें झलक भी कहा जाता है! मैं हंस कर बोला- वैसे झलक दिखाने वाले लौंडे ज्यादातर छक्के होते हैं और छक्के गांड मरवाते हैं, ये मुझे मालूम है.

भैया बोले- हां, छक्के गांड मरवाते हैं मगर साले वो छक्के होते हैं. वो वनवे होते हैं. अपनी मरवा लेते हैं लेकिन उनसे मारने का काम नहीं हो पाता है. मैंने कहा- हां, इसीलिए तो वो छक्के होते हैं.

फिर यूं ही बातें चलती रहीं.

भैया ने अपनी जेब से बीड़ी का बंडल निकाला और एक बीड़ी मुँह में लगा कर सुलगाने लगे. मुझे उन्हें बीड़ी पीते देख कर अजीब सा लगा.

वो समझ गए और बोले- तू लेगा? मैंने कहा- हां लाओ … आज बीड़ी भी पी कर देख लेता हूँ.

भैया बोले- अरे तू सिगरेट पीता हो, तो वो भी है. मैंने कहा- नहीं, आज बीड़ी का मजा ही ले लेता हूँ.

हम दोनों बीड़ी सुलगा कर धुंआ उड़ाने लगे. हमारे बीच फिर से चुदरपने की बातें होने लगीं.

मैं गर्म होने लगा था. मेरा लंड कुछ कुछ फूलने लगा था. उन्होंने मेरे लंड को देखा और मुझे बातों में लगाकर पूछा- तू दिखा, तेरा कितना बड़ा है? मैंने मना किया मगर उनके ज़्यादा ज़ोर देने पर मैंने अपनी पैंट खोल कर अपना लंड दिखा दिया.

उस समय मैं अंडरवियर नहीं पहनता था.

मेरा लंड देख कर भैया बोले- यार, तेरा लंड तो तेरी उम्र के हिसाब से काफी बड़ा है. यह कह कर उन्होंने मेरे लंड को हाथ में ले लिया और आगे पीछे करने लगे.

मेरा तन कर फटने को तैयार था. मैंने कहा- अरे भैया, ये क्या कर रहे हो. आप तो मुझे मीठे लग रहे हो? भैया हंसे और बोले- अभी तक नहीं था. आज पहली बार मीठे बनने का मन है.

मैंने कहा- मीठे तो आप थे, मगर आज पहली बार चाशनी चूसने का मन बना लिया है शायद! भैया हंसने लगे और नीचे फर्श पर बैठने लगे.

मैं कुर्सी पर बैठा था. वो नीचे बैठ कर मेरा लंड हिलाने लगे और बोले- बता कैसा लग रहा है?

मैं तो मानो सातवें आसमान पर था. मैंने सिसकारते हुए कहा- आह बहुत मज़ा आ रहा है भैया. आपको कैसा लग रहा है?

भैया ने लंड सहलाया और मेरी एक गोटी को दबा कर देखा. फिर बोले- आज पहली बार तुम्हारा लंड चूसकर देखूँगा. अभी तक इसके बारे में सिर्फ पढ़ा था. तू बता, तूने अभी तक अपने हथियार को किसी के छेद में चलाया है? मैंने अब तक सेक्स कहानी बहुत पढ़ी थीं लेकिन किसी के साथ गे सेक्स करने का ये मेरा पहला मौका था.

मैंने भैया को बताया- नहीं, अभी तक किसी के साथ नहीं किया है. वो बोले- अच्छा है. तू कोरा कागज है.

मैंने हंस कर कहा- हां भैया. मगर मुँह में देने का बड़ा मन था. इतना सुन कर वो बोले- फिर तो तुझे आज बहुत मज़ा आने वाला है.

उन्होंने झट से मेरा लंड अपने मुँह में ले लिया और चूसने लगे. मैं बता नहीं सकता कि उस समय कैसा मज़ा आ रहा था.

वो मेरा लंड मुँह में लेकर ऐसे चूस रहे थे जैसे लॉलीपॉप चूस रहे हों. उनका लंड चूसने का तरीका बिल्कुल हट के था और मैं सातवें आसमान पर उड़ रहा था. मुझसे बर्दाश्त करना मुश्किल हो रहा था.

जब मेरी उत्तेजना अत्याधिक बढ़ गई तो मैंने उनका सर पकड़ लिया और ज़ोर ज़ोर से उनके मुँह में धक्के देने लगा.

मेरा लंड उनके गले तक अन्दर जा रहा था. मैंने उस समय तक किसी के साथ सेक्स सम्बन्ध नहीं बनाए थे तो मुझे ऐसा लग रहा था जैसे गांड या चूत उनके मुँह जैसी ही हो.

मैं लगातार धक्के लगा रहा था और वो मेरा साथ दे रहे थे. कभी कभी मेरा लंड अपने मुँह से निकाल कर मेरी गोटियां चूस लेते और अगले ही पल फिर से मेरा लंड मुँह में लेकर अपना मुँह आगे पीछे करने लगते.

मैं अब छूटने को था. मेरे शरीर में अकड़न होने लगी.

जब मुझसे बर्दाश्त नहीं हुआ तो मैं बिना कहे ही उनके मुँह में झड़ गया. उन्होंने मेरा सारा पानी एक कागज पर थूक दिया.

वो बोले- तेरा लंड तो बहुत जबरदस्त है यार! मैं पहली बार झड़ने के कारण थक चुका था, मगर उनका इरादा कुछ और ही था.

भैया मुझसे बोले- बता कैसा लगा? मैंने कहा- इतना मज़ा तो मुझे आज तक नहीं आया.

भैया बोले कि अभी और मज़े लेगा क्या? मैं बोला- वो कैसे? वो बोले- बस तू देखता जा!

मेरा लंड सिकुड़ कर छोटा हो गया था. उन्होंने मेरे लंड को पकड़ कर सहलाना शुरू कर दिया.

थोड़ी देर में ही लंड दोबारा आकार लेने लगा. जब दोबारा से लंड खड़ा हुआ, तो उन्होंने फिर से मेरा लंड अपने मुँह में ले लिया और चूसने लगे.

जब मेरा पूरा लंड खड़ा हो गया, तो भैया बोले- आज तुझे असली मज़ा दिलाता हूँ. यह कहकर वो दुकान में पड़ी दरी पर लेट गए और अपनी गांड फैला ली.

वो मुझसे कहने लगे- समीर आ जा, अब मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा, डाल दे अपना मोटा लंड मेरी गांड में! मैंने भी देर ना करते हुए अपना लंड उनकी गांड पर लगा दिया.

मगर थूक से गीला होने के बाद भी लंड भाई की गांड के अन्दर नहीं घुस रहा था. उन्होंने अपनी गांड को भींचा हुआ था. काफी कोशिश के बाद भी जब अन्दर नहीं गया और मेरे लंड में दर्द होने लगा.

तब मैंने कहा- भैया, अपनी गांड को थोड़ा ढीला तो छोड़ दीजिए. जैसे ही उन्होंने अपनी गांड को ढीला छोड़ा, मेरा आधा लंड उनकी गांड में समा गया.

उनकी चीख निकलते निकलते रह गई. उन्होंने अपना हाथ अपने मुँह पर रख लिया. दूसरे हाथ से मुझे रुकने का इशारा किया.

मैं कुछ सेकेण्ड ही रुका मगर मज़े के कारण मैंने एक और धक्का लगा कर अपना पूरा लंड उनकी गांड में उतार दिया.

अब उनसे बर्दाश्त करना मुश्किल हो गया था, वो गूं गूं करने लगे मगर मैं कहां रुकने वाला था. मैंने धक्के लगाना जारी रखा. उनकी आंख से आंसू निकल रहे थे.

मैं ताबड़तोड़ धक्के लगाए जा रहा था.

थोड़ी देर बाद जब उनकी गांड ने लंड के लिए रास्ता बना दिया, तब उन्होंने अपने मुँह से हाथ हटा दिया.

वो बोले- थोड़ी देर रुक तो जाता यार … तूने तो मेरी गांड फाड़ दी. मैं हंस दिया.

वो बोले- चल कोई बता नहीं, अब आराम से अन्दर जाने लगा है. अब लगा दे अपनी पूरी जान और भर दे भाई की गांड अपने पानी से. मैं लगातार धक्के लगाए जा रहा था.

गांड मारने से पहले मैं पहले भी झड़ गया था, इस वजह से मैं उनकी गांड काफी देर तक मारता रहा. मेरी गोटियां उनके चूतड़ों पर थप थप की आवाज़ कर रही थीं.

अब तक बाहर बारिश रुक गई थी और चहल पहल की आवाज़ आने लगी थी.

भैया बोले- यार अब जल्दी कर ले. मगर मेरा मन और करने का कर रहा था. मौके की नजाकत को समझ कर मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी और लंड उनकी गांड के आखिरी कोने तक अन्दर डालता रहा.

आखिरकार मैंने अपना सारा पानी उनकी गांड में छोड़ दिया. थोड़ी देर हम दोनों ऐसे ही लेटे रहे.

फिर भैया ने मेरा लंड निकाल कर एक कपड़े से पौंछा और हम दोनों सामान्य हो गए.

भैया शटर खोल कर ऐसे बैठ गए जैसे कुछ हुआ ही ना हो.

कुछ देर बाद मैं वहां से चला आया. उसके बाद मुझे दोबारा कभी उनकी गांड मारने का मौका नहीं मिला.

मगर मैंने उसके बाद पता नहीं कितनी लड़कियों, आंटियों की चूत चुदाई की, जो मैं अपनी अगली कहानियों में बताऊंगा.

आपको भाई की गांड की कहानी अच्छी लगी होगी. अपना उपयोगी फीड बैक ज़रूर दें जिससे मुझे अपनी कहानी में सुधार करने का मौका मिले. आप अपने सुझाव मेरे ईमेल पर भेज सकते हैं. [email protected]

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