कहानियाँ / चुदाई की कहानी

परपुरुष से शारीरिक सम्बन्ध- 6

राहुल वर्मा कानपुर
परपुरुष से शारीरिक सम्बन्ध- 6
@राहुल वर्मा कानपुर
11 min

हार्ड फक हिंदी स्टोरी में मेरी चुदाई रात में एक बस में हो रही है. तीन लंड मेरे तीनों छेदों को चोद रहे थे. मुझे तकलीफ के साथ मजा आ रहा था.

मेरे प्यारे प्यारे पाठको और पाठिकाओ, मैं आपकी प्यारी सी चुदक्कड़ बन चुकी काव्या आपके सामने चलती बस में तीन मर्दों के साथ अपनी चुदाई की कहानी सुना रही थी.

कहानी के पांचवें भाग गांड मरवाने का अलग ही मजा है में अब तक आपने पढ़ा था कि मगन ने मेरी गांड में अपना मूसल ठोक दिया था और मेरी दर्द भरी आवाजें निकलने लगी थीं, लेकिन रवि ने मुँह को बंद किया हुआ था तो मेरी आवाजें मेरे गले में ही घुट कर रह गई थीं.

अब आगे हार्ड फक हिंदी स्टोरी:

फिर रवि ने जैसे ही मेरे मुँह को आज़ाद किया तो मैंने मगन से कहा- प्लीज़ पीछे से निकाल लो, बहुत जलन हो रही है. मैं मर जाऊंगी आआह्ह … मां बचा लो … बहुत दर्द हो रहा है. मगन बोला- चुप कर साली छिनाल, वैसे भी तू अपने पति से चुदवाने ही तो जा रही थी. यहां रास्ते में हम तुझे मिल गए और देख कैसा मज़ा आ रहा है तुझे … यही तो हमारी खूबी है. थोड़ा साथ और दे दे रांड और एक बार ये डबलरोटी वाली चुदाई करवा के देख … इतना मज़ा आएगा न कि जब भी तू अपने पति का लंड लेगी न … तो हमको जरूर याद करेगी … बोल शुरू करें!

मैं कुछ नहीं बोली और रवि के कंधे पर सिर रख कर अभी भी सुबक रही थी. मगन ने बिना कोई इंतजार के रवि से खेल शुरू करने को बोला.

पहले रवि ने धक्का लगाया तो मगन से चिपक गई. फिर मगन ने धक्का तो रवि से चिपक गई. इस तरह से वे दोनों मुझे धीमे धीमे चोद रहे थे. उधर मैं हर धक्के पर आह्ह … उम्म्मम … करती.

वे शुरू में मुझे प्यार से चोद रहे थे. कुछ देर बाद मेरा दर्द भी अब कम हो गया था या यूं कहूं तो न मात्र का था इसलिए उन दोनों ने थोड़ी तेज़ी दिखाई और धकापेल चोदने लगे.

सच में मुझे भी अब इस तरह की चुदाई करवाने में मजा आने लगा था. ऐसा लग रहा था कि सेक्स भी कितना मजेदार होता है, बस एक माहिर चूत का सेवक होना चाहिए … और यहां तो दो दो धाकड़ मर्द थे.

मैंने धीमे से रवि के कान में कहा कि मगन से बोलो कि थोड़ा तेज तेज चोदो.

इससे पहले रवि कुछ बोलता, मगन बोल पड़ा- हा हां … पता है साली कि तुझे हमारे लंड पसंद आ गए हैं … इतना मज़ा करवा दूंगा कि तेरी जान चूत से या गांड से निकल जाएगी. मैं कुछ नहीं बोली.

उन दोनों ने मेरी कमर को पकड़ लिया और इतनी जोर से चोदने लगे कि ऐसा लग रहा था कि मैं कोई इंजन हूं और ये दोनों पिस्टन मेरे दोनों सुराख को फाड़ कर एक कर देंगे.

हम तीनों पसीने से लगभग नहा लिए थे. हमारी जांघें आपस में टकराकर ऐसा मधुर संगीत कर रही थीं, जैसे कोई यहां चुदाई राग गा रहा हो.

मगन जितना तेज चोद रहा था, उससे ज्यादा कहीं रवि की रफ्तार तेज थी. शायद वह झड़ने के करीब था.

तभी रवि बोल पड़ा- आह … मैं आने वाला हूं.

मेरा मन था कि मैं उसका माल पी जाऊं … लेकिन फिर भी उसे अन्दर ही आने को बोला.

कुछ तगड़े धक्के मार कर रवि मेरी चूत में अपना लावा उगलने लगा. मैं भी उसके साथ खुद झड़ने लगी.

देखते ही देखते उसने मेरी चूत को अपने माल से पूरा भर दिया और बचा हुआ रस मेरी जांघों से लिपटता हुआ नीचे गिरने लगा.

झड़ने के बाद रवि सामने सीट पर बैठ गया. सच में रवि अभी नया जवान हुआ एक लड़का था लेकिन वह चुदाई में एक माहिर खिलाड़ी था.

मगन अभी भी वैसे मेरी गांड कूट रहा था. मैंने उससे कहा- अब रुक जाओ, मैं थक गई हूं और मेरी गांड दुखने लगी है.

लेकिन मगन ने मेरी कमर से हाथ हटा कर मुझे एक लोहे की रॉड पकड़ा दी और खुद मेरे दोनों कंधों को जोर से पकड़ लिया.

अभी तक मैं इस चुदाई से ही परेशान हो गई थी लेकिन मुझे क्या पता था कि अभी उसकी टॉप गियर वाली चुदाई बाकी है.

उसने मेरे बालों का जूड़ा खोल कर पूरे बाल बिखरा दिए और बोला- अब देखो.

मगन ने अपनी पूरी ताकत का निचोड़ लंड पर केंद्रित किया और किसी हब्शी के जैसे चोदने लगा. अब न तो वह रुक रहा था और न मुझे सांस लेने दे रहा था.

मेरी जांघें उसकी जांघ से टकरा कर ठप्प … ठप्प … का जोरदार शोर कर रही थीं.

और मेरी आंखों के आंसू मेरे पैरों पर गिर रहे थे- प्लीज … उम्म्म आह … रोक दो … मैं मर जाऊंगी आईई आह प्लीज!

वह नहीं रुका … उल्टा बल्कि उतना ही हुमच कर चोदने लगा था. उसके हर धक्के पर बस वह मुझे गाली दे रहा था- ले साली … कुतिया रांड … मेरी रखैल बन जा मादरचोदी आह … ऐसे ही दिल खोल कर चुदवाना मुझसे … कितनी मस्त छिनाल है तू … आह!

वह इतना ही बोल पाया कि उसके एक तगड़े धक्के से ऐसा लगा कि मैं छूटने वाली हूँ. मेरी टांगें दर्द और शरीर में बढ़ती गर्मी से कांपने लगी थीं.

मगन समझ गया था कि मैं अब कभी भी आ सकती हूं इसलिए उसने मेरी कमर को एक हाथ से पकड़ लिया. तभी अचानक से मैं इतनी जोर से झड़ी कि माल के साथ मेरी चूत से पेशाब का फव्वारा फूट पड़ा.

पेशाब इतनी तेज़ी से निकल रही थी कि साथ में रवि का वीर्य भी बह कर बाहर आ गया था. उधर मगन ने भी मेरी गांड को अपने माल से सींचना शुरू कर दिया था.

मैं ख़ुद को और रोक न सकी धम्म से नीचे बैठ गई.

मगन ने बचा हुआ माल मेरे चेहरे पर झाड़ दिया और कुछ तो मुँह के अन्दर भी चला गया.

अब हम सब दूर बैठ कर अपनी सांसों पर काबू कर रहे थे. इस समय बस में ऐसी शांति थी जैसे कोई बहुत बड़ा तूफान आ कर गया हो.

कुछ देर बाद मैं उठी और रवि से कहा- अब तो मेरे कपड़े वापस कर दो, अब मुझे घर जाना है! मगनलाल ने रवि से कहा- जा, जाकर इसके कपड़े लाकर इसे दे दे.

फिर रवि मेरे कपड़े ले आया. मैं किसी तरह दर्द से करहाती हुई खड़ी हुई और उसके हाथ से कपड़े लेकर जैसे ही पहनने लगी, मगनलाल ने मुझे रोक दिया.

वह बोला- जब कपड़े उतारे हमने … तो पहनाएंगे भी हम ही!

उसने मुझसे आंखें बंद करने को बोला. तो मैंने उसकी जी हजूरी करते हुए आंखें बंद कर ली.

वह पास आया और नीचे झुका, फिर पता नहीं उसने क्या किया लेकिन मेरी क्लिट पर जोर से चिटकी काटी.

उसने मुझे ब्रा और पैंटी पहना दी और उठ खड़ा हुआ पेटीकोट और ब्लाउज रवि को पहनाने को बोला. साड़ी मैंने ख़ुद पहन ली.

तभी मगनलाल ने बस चलानी शुरू कर दी. मैंने रवि से कहा- मुझे सोना है.

इतना बोल कर मैं पीछे वाली सीट पर सो गई.

कुछ देर बाद रवि ने मुझे जगाया और बोला- आपका शहर आने वाला है.

मैं इतनी गहरी नींद में सो रही थी कि मुझे पता ही नहीं चला कि कब सुबह के आठ बज चुके हैं. मैंने मोबाइल निकाल कर देखा तो पति के बहुत सारे मैसेज और मिस कॉल लगे हुए थे.

पर मैंने बात नहीं की, बस मैसेज से बता दिया कि मेरी तबीयत खराब हो गई है. मैं घर जा रही हूँ. तभी मुझे याद आया कि रवि ने मेरी फ़ोटो ली थी कल रात को! मैंने उससे बात करके सारी फ़ोटो डिलीट करवाईं.

सच में वह एक अच्छा लड़का था.

वह मेरे बगल में बैठ गया और मुझसे मेरा हाल पूछने लगा. अब उसे क्या बताती कि कैसे रात भर उन दोनों ने मुझे ढोलक जैसे बजाया था.

मैंने रवि से पूछा- मगन को इतना सब कैसे पता है? तो उसने बताया- ड्राइवर साहब बहुत पोर्न देखते हैं.

बातों ही बातों में बस मेरे शहर में घुस चुकी थी. मैंने रवि से कहा- बस अड्डे पर ही बस रोक दो.

उसने कहा कि ड्राइवर बोल रहा है कि वह आपको घर के पास छोड़ेगा. मैं समझ गई थी कि वह ऐसा क्यों करने को बोल रहा है.

वह मेरा घर पता करना चाहता है ताकि भविष्य में मुझे परेशान कर सके. इसलिए मैंने भी दिमाग लगाया और बस मेरे घर से दस किलोमीटर दूर रुकवाई और नीचे उतर कर एक गली में जाने लगी.

मगनलाल को लगा कि इसी गली में मेरा घर है इसलिए उसने बस आगे बढ़ा ली.

उसे दूर जाता देख कर मैं वापस मुड़ी और जल्दी से एक रिक्शा लेकर बस स्टैंड पहुंची. वहां काफी सारी टैक्सी खड़ी थी. मैंने एक गाड़ी वाले से झांसी जाने की बात की, किराया तय किया और बैठ गई.

टैक्सी वाला मुझे शीशे से देख रहा था. मेरा हुलिया बिगड़ा हुआ था इसलिए मैंने मुँह ढक लिया.

बहुत देर से मेरी चूत में खुजली हो रही थी. मैंने एक बार खुजला लिया, बस फ़िर क्या … न तो खुजली रुकी न तो मेरे हाथ … सारे रास्ते मैं अपनी चूत खुजाती हुई आयी.

गली में टैक्सी रुकी तो उसे पैसे दिए. वह खिसयानी हंसी हंसते हुए चला गया.

मैंने भी घर पहुंचकर ख़ुद को व्यवस्थित किया और बेल बजा दी.

मेरी सास ने दरवाजा खोला, इससे पहले वह कुछ बोलती मैंने ही बोल दिया कि रास्ते में तबीयत खराब हो गई थी इसलिए वापस आ गई. मैं अपने रूम में आराम करने का बोल कर चली गई.

कमरे में पहुंचते ही मुझे अपने पति से की हुई बेवफाई से मेरा दिल टूट गया और मैं बेड पर लेट कर रोने लगी. फिर कब नींद आ गई पता नहीं चला.

दोपहर को दो बजे मेरी आंख खुली. मेरे बदन से बदबू आ रही थी इसलिए मैं सीधे बाथरूम में घुस गई.

मैंने कपड़े उतार कर धुलने डाल दिए और ब्रा पैंटी में शॉवर के नीचे खड़ी हो गई.

तब मैंने अपनी ब्रा उतारी और खुद को शीशे में देखा तो पूरे बदन में लाल लाल निशान पड़ गए थे.

लेकिन जैसे ही मैंने पैंटी उतारी, मेरा तो मुँह खुला का खुला रह गया. मेरी चूत फूल कर कुप्पा हो गई थी और गांड का हाल तो उससे भी बुरा था.

हार्ड फक से मेरे दोनों अंग बुरी तरह से दर्द कर रहे थे. सालों ने इतना चोदा था कि महीने भर न चुदूं तो भी कोई कमी नहीं होगी.

तभी मेरी नज़र क्लिट पर पड़ी. मेरी वाली यह मेरी वाली पियर्सिंग नहीं थी बल्कि कुछ और था.

जल्दी से नहा कर मैं कमरे की तरफ भागी और बड़े वाले शीशे में देखा. तो यह एक सोने की बाली थी.

मैंने बड़ी सावधानी से निकाली तो ध्यान आया कि ये तो मगनलाल के कान में देखी थी. तभी वह बोल रहा था कि उसने एक निशानी मेरी अपने पास रख ली है और अपनी दे दी है.

मैंने अपनी चूत और गांड पर दवा लगाई और खाना खाकर नंगी होकर सो गई.

शाम को उठी तो सोचने लगी कि उन लोगों ने मेरी चूत में अपना माल गिराया है, कहीं मैं प्रेगनेंट न हो जाऊं. मैं बाजार से गर्भ निरोधक गोली और टेस्ट किट ले आई.

तीन दिनों बाद पति भी छुट्टी पर घर आए और हाल चाल लिया. मैं तो इस बात से ही डरी हुई थी कि कहीं पति सेक्स के लिए न बोल दें तो मैं तबीयत नासाज़ होने का बहाना बनाकर उनसे दूर रही.

मेरी हालत देख कर उन्होंने खुद कुछ नहीं बोला और वापस चले गए.

पति के जाने बाद पता नहीं क्यों मुझे उन तीनों की याद अक्सर आती रहती है, तो मन में मुस्कान उठने लगती है.

उस रात को बीते आज कई महीने हो गए हैं लेकिन फिर भी जब भी कभी पति से चुदाई करवाती हूं तो एक खालीपन सा लगता है. कहीं मैं अपने पति से बेवफ़ाई तो नहीं करने लगी हूं.

आज भी मैंने मगनलाल की वह बाली संभाल कर रखी हुई हैं. बहुत सोचा कि फेंक दूं … पर हर बार रुक जाती हूँ.

दोस्तो, यही थी मेरी आपबीती … जिसे आपने मेरी जुबानी और राहुल की लेखनी के माध्यम से पढ़ा.

तो बताइए मुझे क्या करना चाहिए, आप सभी जो भी सुझाव देंगे … उनके बारे में सोचूंगी और लेखक के माध्यम से जवाब भी दूंगी. खास तौर से मैं अपनी पाठिकाओं की बातों पर ज्यादा ध्यान दूंगी.

हार्ड फक हिंदी स्टोरी पर आप अपने बहुमूल्य सुझाव मुझे जरूर लिखें. राहुल वर्मा कानपुर [email protected]

धन्यवाद.

इस कहानी को साझा करें

इस कहानी को अपने सभी परिचितों के साथ साझा करें!