कहानियाँ / चाची की चुदाई

जवान लड़के के घर की सम्भोग लीला- 2

सैम 14
जवान लड़के के घर की सम्भोग लीला- 2
@सैम 14
14 min

Xx सेक्स इन कार का मजा मुझे दिया मेरी जवान चाची ने. हम लोग स्टेशन से घर आ रहे थे. चाची मेरे साथ बैठी थी. पढ़ें कि कैसे चाची ने मेरा लंड चूसा चलती कार में!

दोस्तो, मैं सैम आपसे पुनः मुखातिब हूँ. कहानी के पहले भाग मेरी जवान चाची की वासना में अब तक आपने पढ़ लिया था कि मैं गांव के नजदीक के स्टेशन पर पहुंच गया था और अपनी बहन व चाची के गले से लग कर उनके चूचों व गांड के उभार को टटोल कर उन्हें अपने लंड का अहसास भी करवा दिया था.

अब आगे Xx सेक्स इन कार का मजा:

फिर हमने सब सामान उठाया और गाड़ी की ओर चलने लगे. चाची चलते समय शीला से कुछ बातें कर रही थीं.

मेरे पास टोटल चार बैग और एक बड़ा सा वुडनबॉक्स था. चाचा जी बड़े ठाकुर साहिब की एम्बेस्डर कार लेकर आए थे.

गाड़ी में चाचा जी शीला के साथ आगे बैठने गए तो चाची ने उसे पीछे बैठने को कहा. शर्मिला आगे बैठी.

पीछे चाची मेरे राइट साइड में … और शीला मेरी लेफ्ट साइड में बैठी थी. शीला ने घाघरा और चोली पहनी हुई थी. उसकी चुन्नी बार बार उसकी छाती से हट जा रही थी.

शीला के बूब्स को देख कर मेरे बदन में एक करेंट सा दौड़ जा रहा था. चाची ने मुझे शीला के बूब्स को चोरी चोरी निहारते हुए ने देख लिया था. हमारा घर स्टेशन से 80 किलोमीटर दूर था.

अपनी गाड़ी से दो ढाई घण्टे लग जाते थे. मैं चाची और शीला पीछे की सीट पर सो गए.

चाची ने अपना सिर मेरी जांघ पर रख दिया और हम तीनों सो गए.

कुछ समय बाद गाड़ी किसी गड्ढे से उछल कर निकली तो मेरी और शर्मिला की आंख खुल गयी. मैंने देखा तो चाची और शीला दोनों अभी भी सो रही थीं.

मेरी आंख एकदम से खुल गई थी और मैंने देखा तो चाची का पल्लू भी उनकी छाती से सरक गया था. चाची के 36 इंच के दूध उनके छोटे से ब्लाउज में से झांक रहे थे और मुझे बहुत आकर्षक लग रहे थे.

मैंने देखा कि फ्रंट सीट और बैक सीट के बीच में एक अपारदर्शी कांच लगा हुआ था जो शायद बड़े ठाकुर अपने साथ लाई हुई लौंडिया के साथ खेलने के समय बंद कर लेते होंगे.

तो मैंने चाचा जी से कहा कि मैं यह ग्लास बंद कर देता हूँ. सामने से सूर्य का प्रकाश सीधे मेरी आंखों पर पड़ रहा है. उन्होंने ‘ठीक है’ कह दिया.

अब चाची के बूब्स को देखते देखते मेरा लंड एकदम से खड़ा होने लगा.

थोड़े समय के बाद मैंने दूसरी ओर देखा, तो शीला की चोली से भी उसके बूब्स आधे से अधिक बाहर थे. मेरा तो हाल बुरा था. मैं उस समय दुविधा में पड़ गया कि कौन से बूब्स को निहारूँ या आंखें बंद कर लूँ.

मैंने धीरे से अपना हाथ चाची के मम्मों पर रख दिया और अपनी आंखें बंद कर लीं.

कुछ समय तक चाची की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं होने पर मेरा साहस बढ़ गया. मैंने चाची के बूब्स को धीरे धीरे दबाना शुरू कर दिया.

चाची ने धीरे से अपना सीधा हाथ मेरे हाथ पर रख दिया. उनके इस कदम से मेरी सांसें रुक सी गईं.

मैंने देखा तो चाची हल्का सा मुस्कुरा रही थीं. फिर चाची ने अपने हाथ से मेरा उल्टा हाथ शीला के बूब्स पर रख दिया.

मैंने अपनी आंखें बंद कर लीं और प्रतीक्षा करने लगा कि शीला की ओर से क्या प्रतिक्रिया होती है.

जब शीला की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं हुई तो मेरा साहस थोड़ा बढ़ गया और दिल की धड़कनें शांत हो गईं. अब मैं अपने सीधे हाथ से चाची के बूब्स दबा रहा था और बाएं हाथ से शीला के.

कुछ समय बाद मैं अपने बाएं हाथ को शीला के ब्लाउज के अन्दर डालने का प्रयास करने लगा. शीला का ब्लाउज बहुत टाइट था.

कुछ समय बाद शीला ने खुद अपने ब्लाउज के दो बटन खोल दिए.

मैंने अपना हाथ शीला के ब्लाउज में डाल दिया और उसके चूचुकों को धीरे धीरे मसलने लगा. चाची यह सब चुपचाप देख रही थीं. मेरे सीधे हाथ से मैं चाची के बूब्स दबा रहा था.

चाची के निप्पल एकदम टाइट हो गए. मैं तुरंत समझ गया कि चाची भी इस क्रिया का मज़ा ले रही हैं. चाची मेरी जांघ पर सिर रख कर लेटी थीं, इस कारण से चाचा जी को कुछ भी नहीं दिख रहा था.

चाचा जी गाड़ी चलाने में बिज़ी थे और शीला और शर्मिला दोनों सो रही थीं. थोड़े समय तक मैं चाची के बूब्स को ब्लाउज के ऊपर से दबाता रहा. मेरा लंड कड़क हो चुका था और चाची के सिर से बार बार टकरा रहा था.

चाची ने धीरे से अपने ब्लाउज के बटन खोल दिए तो मेरी तो समझो लॉटरी लग गयी.

मैंने बिना समय नष्ट किए चाची के निप्पल और बूब्स को अपने काबू में किया और उन्हें तबीयत से मसलने लगा.

अब चाची ने धीरे से अपना घाघरा अपनी कमर तक उठा दिया. इससे मेरा लंड तो जींस और अंडरवियर फाड़ कर बाहर आने को रेडी था.

चाची ने मेरे हाथ को अपनी चूत पर रखवा लिया जो उस समय पूरी गीली थी. उन्होंने मेरे लेफ्ट हैंड को अपने बूब्स पर रखवा लिया.

अब चाची ने धीरे से अपना सिर मेरे लंड पर से हटाया और मेरी पैंट की ज़िप को खोल कर मेरे लंड को बाहर निकाल दिया. मेरा लंड साढ़े सात इंच लंबा और तीन इंच मोटा है.

चाची भी बिना समय खराब किए मेरे लंड को सहलाने लगीं. मुझे भी Xx सेक्स इन कार का मज़ा आ रहा था.

फिर चाची ने मेरे लंड को अपने मुँह में ले लिया और मैं अपनी उंगली को चाची की चूत में पूरा डालने का प्रयास करने लगा.

कुछ ही क्षणों में चाची की चूत से एक पिचकारी निकल पड़ी और वे ठंडी पड़ गईं.

चाची मेरे लंड को चूस रही थीं और कुछ मिनट पश्चात मेरे लंड ने भी पिचकारी छोड़ दी. मेरा सारा वीर्य चाची ने पी लिया.

जब मैंने आंखें खोलीं और चाची की ओर देखा तो वे मुस्कुरा कर मुझे देख रही थीं.

चाची ने अपना घाघरा नीचे किया और मेरे हाथ को अपने घाघरे से पौंछ कर साफ कर दिया. फिर उन्होंने अपने ब्लाउज के बटन बंद कर दिए.

कुछ समय बाद हम सब घर पहुंच गए.

हम जैसे ही घर पहुंचे, मेरी मां आरती की थाली लेकर घर के द्वार पर खड़ी थीं.

दोपहर का समय था और धूप बहुत तेज थी. आरती के बाद मैंने मां के पैर छुए और उन्हें गले से लगा लिया.

घर के बाहर काफ़ी गर्मी होने के कारण हमने जल्दी से सामान घर में रखा और सब घर में चले गए.

अन्दर जाते ही चाची छोटे वाले वॉशरूम चली गयी और मैं बड़े वाले वॉशरूम में चला गया.

मैंने जींस उतार कर ट्रैक पैंट पहन ली. मां ने आवाज दी- सब हाथ धोकर डाइनिंग टेबल पर आ जाओ, खाना तैयार है.

चाचा जी- भाभी मुझे भूख नहीं है. मैंने कहा- मुझे तो बहुत भूख लगी है! शीला- मुझे भी बहुत भूख लगी है.

मां- शीला और समीर, तुम दोनों हाथ धो लो और डाइनिंग टेबल पर आ जाओ. मैं और शीला हाथ धोकर डाइनिंग टेबल पर पहुंचे, तो चाची ने शीला को अपने बाएं ओर बैठने के लिए कहा.

हमारे घर में डाइनिंग टेबल 8 लोगों वाली है. मेरे दायीं ओर शर्मिला बैठी थी, सामने चाची और चाची के बाएं में शीला … और राइट साइड में नैना बैठी हुई थी.

नैना हमारी पुरानी काम वाली है. वह रेखा की बहू है. रेखा मौसी को अस्थमा हो गया था इसलिए उनकी जगह उनकी 26 साल की बहू हमारे घर काम करने लगी थी.

कुछ समय में मां मेरे पास पर आ कर बैठ गईं और हम सबने खाना शुरू किया.

चाचा जी- भाभी, पिताजी और भैया का डब्बा तैयार है? मां- देवर जी, रसोई में पैक करके रखा हुआ है.

चाची- थोड़ा समय रुक जाओ, मैं भी आपके साथ चलती हूँ. हम सब खाना खा रहे थे कि कुछ ही समय में मेरी नजर शीला के बूब्स पर पड़ी.

शीला की चुन्नी अपनी जगह से हट गयी थी और उसके ब्लाउज के दो बटन खुले होने के कारण उसके आधे से अधिक बूब्स बाहर थे. चाची ने मेरी नजरों को देख लिया और खुद का भी पल्लू एकदम लेफ्ट साइड पर कर दिया.

मेरी तो हालत खराब हो गई. मेरे खाने की गति धीमी हो गयी थी. चाची और शर्मिला ने खाना खा लिया और वे दोनों हाथ धोने चली गईं.

मां- शर्मिला, रसोई में पड़ा खाने का डब्बा अपने चाचू को दे दो जरा! शर्मिला- हां मां.

चाची- अच्छा दीदी, मैं चलती हूँ … कल वापस आऊंगी, फिर समीर के साथ ढेर सारी बातें करेंगे. मां- छोटी रुक जाती तो अच्छा होता.

चाची- नहीं दीदी, कल सुबह फसल की कटाई है. चाचा जी- अभी चलो देर हो रही है. बाबूजी और भैया को खाना भी देना है.

मां- अच्छा ठीक है. शर्मिला- मां मैं सोने जा रही हूँ मुझे शाम 5 बजे तक उठा देना, मुझे कल के एग्जाम के लिए पढ़ाई करनी है.

फिर चाचू ओर चाची गाड़ी में अपने घर चले गए. शर्मिला खाना खाकर अपने रूम में पढ़ाई करने चली गयी.

मैं, शीला, मां और नैना खाना खा रहे थे. मेरी नजरें बार बार शीला के ब्लाउज से बाहर झांकते उभारों पर पड़ रही थीं और इसी कारण मेरा लंड एक बार फिर खड़ा हो गया.

शीला को पता था कि मैं उसके उभारों को निहार रहा हूँ. मां ने भी इस बात को नोट किया.

कुछ समय बाद मेरी नजर नैना पर पड़ी, तो उसका भी यही हाल था. जब मैंने शीला और नैना के पीछे लगे ग्लास में देखा, तो मां के भी ब्लाउज के दो बटन खुले थे और उनकी छातियों के दीदार आराम से हो रहे थे.

मेरी नजरें वहीं ग्लास पर रुक गईं और मैं मां की छातियां निहारने लगा. मां की और मेरी नजरें ग्लास में एक दूसरे से मिलीं तो मां ने पलकें झपकाईं, फिर सिर नीचे करके मुस्कुरा दीं.

मां ने अपना खाना ख़त्म किया और उठ कर रसोई में चली गईं. मां के चेहरे पर थोड़ी सी मुस्कान थी.

मैं नैना और शीला के बूब्स को निहार रहा था. नैना भी चोरी चोरी मेरी ओर देख रही थी.

मां के बाद नैना ने खाना खत्म किया और वह रसोई में प्लेट रखने गयी.

मां ने नैना को, घर का मुख्य द्वार और हॉल का द्वार बंद करने का और मेरे रूम को अच्छे से साफ करने के साथ परदे बंद करने को कहा.

नैना के जाने के बाद मैं शीला के बूब्स को निहार रहा था और शीला भी बहुत आराम आराम से खाना खा रही थी.

फिर शीला अपनी कुर्सी से उठी और अपनी प्लेट में चावल और फिश करी डालने के लिए जैसे ही झुकी, मेरे तो लौड़े लग गए, आंखें फट कर बाहर आ गईं. डाइनिंग टेबल के बिल्कुल लेफ्ट साइड पर होने के कारण रसोई और हॉल से कुछ भी दिखाई नहीं देता था.

मैं अपनी कुर्सी से उठ कर शीला के बाजू में बैठ गया. जब मैं चल कर शीला के पास आया, तो शीला मेरी ट्रैक में बने टेंट तो निहार रही थी.

जब मैं उसके बाजू में बैठा तो शीला बार बार मेरे लंड की ओर ही देख रही थी. मैंने अपना हाथ शीला के कंधे पर रखा और धीरे से उसके ब्लाउज में डाल दिया.

शीला ने अपनी चम्मच प्लेट में रख दी और अपने सीधे हाथ से मेरी ट्रैक के अन्दर हाथ डाल कर लंड को मसलने लगी. मैंने शीला के ब्लाउज को कंधे से नीचे सरका दिया और शीला का एक दूध बाहर आ गया.

मैं शीला के दूध को मुँह में लेकर चूसने लगा और वह मेरे लंड को अपने हाथ में पकड़ कर मुठ मारने में बिज़ी हो गई थी.

उसी समय मां ने रसोई से आवाज लगाई- शीला, खाने के बाद मेज को साफ कर देना!

मां की आवाज सुनकर मेरी तो गांड ही फट गयी. मैंने तुरंत अपना लंड पैंट में डाला और खाना खत्म कर दिया.

फिर हाथ धोकर मेज पर से थाली उठा कर रसोई में आ गया.

रसोई में सिंक में बर्तन पड़े थे और मां बर्तन धो रही थीं. वे पसीने में पूरी भीगी हुई थीं.

उनके कपड़े उनके बदन से चिपके हुए थे. मैंने देखा तो उनका पेटीकोट उनकी गांड पर चिपका हुआ था.

मैंने मां के पीछे से थाली को सिंक में रखने की कोशिश की और मेरा लंड मां की गांड में टच हो गया. मेरा लंड टच होते ही मां ने अपनी गांड को मेरे लंड की ओर पुश कर दिया.

मैं भी हैरान हो गया. पर जब मैंने देखा कि मां स्वयं इसके लिए तैयार हैं तो फिर मैंने प्लेट को सिंक में रखने के बहाने अपने लंड को और आगे पुश कर दिया.

मां- आह. मैंने कहा- मां तू तो पसीने से पूरी भीग गयी है! मां- हां गर्मी के समय रसोई में बहुत गर्म हो जाता है.

बात करते समय मैंने अपनी पॉकेट से रूमाल निकाल कर मां के ब्लाउज के पीछे की तरफ की नंगी पीठ को साफ करने लगा. मेरा बायां हाथ आगे रसोई के सिंक पर था, जिसे मैंने धीरे से मां के एक दूध पर रख दिया.

अपनी मां के दूध पर हाथ रखते समय मेरा हाथ काँप रहा था. पर जब मां की साइड से कोई प्रतिक्रिया नहीं हुई, तो मेरा साहस बढ़ गया.

मैंने धीरे से उनके दूध को दबाना शुरू कर दिया.

मां की छातियां बहुत मुलायम थीं और मैं उन्हें अपनी पूरी मस्ती से दबा रहा था. मां भी इस क्रिया का पूरा आनन्द ले रही थीं.

मैं अपने लंड को पीछे से और अन्दर घुसाने का प्रयास कर रहा था. मैंने धीरे से अपने एक हाथ से मां का पेटीकोट उनकी कमर तक ऊपर उठा दिया.

मां ने पेटीकोट के अन्दर कुछ भी नहीं पहना था. उनकी दूध जैसी गोरी गांड मेरे सामने थी.

मां ने अपनी गांड को थोड़ा और पीछे की ओर किया और वे खुद थोड़ा आगे की ओर झुक गईं. इससे उनकी चूत मुझे दिखने लगी. मैंने अपने लंड पर थूक लगाया और उसे मां की चूत पर सैट कर दिया.

मैं लंड को चूत में घुसाने का प्रयास करने लगा. इसी बीच शीला ने बाहर से आवाज लगाई.

मेरे मुँह से निकल गया- साली ने मजा बिगाड़ दिया! यह कह कर मैंने तुरंत मां का पेटीकोट नीचे कर दिया. मां भी मुस्कुरा दीं.

शीला- मां, मैंने टेबल को साफ कर दिया है और अब मैं अपने कमरे में जा रही हूँ. अगर कुछ काम हो तो आवाज दे देना. मां- नैना कहां है?

शीला- वह भाई का कमरा साफ कर रही है! मां- ठीक है.

मैं समझ गया कि अब कोई डिस्टर्ब करने नहीं आने वाला है. मैंने अपने दोनों हाथों को मां के ब्लाउज के अन्दर डाल दिया और उनके बूब्स को पूरी तबीयत से दबाने लगा.

मेरा लंड इस समय मां के घाघरे के नीचे से उनकी गांड की दरार में रगड़ मार रहा था. मां को लंड का स्पर्श काफ़ी दिनों बाद मिला था इसलिए वे भी सब कुछ भूल चुकी थीं और अपनी आंखें बंद करके लंड के स्पर्श का आनन्द ले रही थीं.

अचानक नैना की आवाज से हम दोनों ही झटका खा गए.

नैना- मां जी, भैया के रूम की सफाई हो गयी है! मां- नैना, एक काम कर … सीढ़ियों को जरा अच्छे से साफ कर दे.

मैंने तुरंत अपना हाथ बाहर निकाला और पलट कर पीछे की ओर देखा, तो नैना रसोई के द्वार पर खड़ी थी. पर उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था.

नैना कॉमन बाथरूम से पानी की बाल्टी भर कर सीढ़ियां धोने की तैयारी में लग गयी. दोस्तो, अगली कड़ी में आपको किसी न किसी की चुदाई की कहानी से रूबरू करवाऊंगा.

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